मैं जूडो, कराटे, कुश्ती, चैंपियन, मेरी सटक गई थी... खराब दाल पर कैंटीन मैनेजर को पीटने वाले विधायक के बोल

कैंटीन मैनेजर को पीटने वाले विधायक ने कहा कि मैं किसान हूं, सब्जी देखकर बता सकता हूं कि खाना कब बनाया गया है. ये लोग हर दिन महाराष्ट्र के 10 हजार लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं.

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कैंटीन मैनेजर को पीटने पर विधायक की सफाई.

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  • शिवसेना शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने मुंबई के आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल में खराब दाल मिलने पर कैंटीन संचालक को पीटा.
  • विधायक ने खराब खाना मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया जताई और कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया और इसका कोई पछतावा नहीं है.
  • संजय गायकवाड़ ने बताया कि कैंटीन में अक्सर खराब खाना दिया जाता है, इनके मटर, चिकन और अंडे भी पुराने होते हैं.
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मुंबई:

मुंबई में थप्पड़ मामले पर राजनीति पहले से ही गरम है. अब शिवसेना शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने दाल खराब होने पर आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल में कैंटीन संचालक को जमकर (Mumbai MLA Beaten Up) पीटा. सवाल पूछे जाने पर कैंटीन संचालक को पीटने वाले विधायक ने NDTV से कहा कि उन्होंने जो भी किया उसका कोई मलाल नहीं है. कुछ भी गलत नहीं किया बल्कि बिल्कुल ठीक किया है. जाति-प्रांत देखकर उन्होंने नहीं पीटा. अक्सर खराब खाने की शिकायतें मिलती हैं. लोग नहीं समझते तो ऐसे ही समझाना पड़ता है.

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पीटने का मुझे कोई पछतावा नहीं

यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह का व्यवहार एक विधायक को शोभा देता है, संजय गायकवाड़ ने कहा, "मैं एक विधायक हूँ और एक योद्धा भी. जब बार-बार कोशिश करने के बाद किसी ने मेरी बात नहीं मानी, तो मैंने बालासाहेब ठाकरे द्वारा सिखाई गई भाषा का इस्तेमाल किया. मैं अपना आपा खो बैठा. मैं जूडो, जिम्नास्टिक, कराटे और कुश्ती में चैंपियन हूं. मैं गांधीवादी नहीं हूं. मुझे कोई पछतावा नहीं है. मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ गलत किया. मैं यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाऊंगा. 

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खराब खाना दिया तो फिर पीटूंगा

संजय गायकवाड़ ने कहा कि खराब खाना दिया तो फिर पिटाई करूंगा. खराब दाल देखकर मेरी सटक गई, मेरा दिमाग गरमा गया, क्यों कि कैंटीन की अक्सर खराब खाने को लेकर शिकायतें आती हैं.संजय गायकवाड़ ने कहा कि मैंने चाल-चावल मंगवाए थे. जैसे ही मैंने खाने का पहला निवाला खाया तो मुझे बहुत गंदा लगा.दूसरा नवाला खाते ही मुझे उल्टी हो गई. जिसके बाद बनियान-तौलिये में ही मैं कैंटीन पहुंच गया. जिन लोगों ने खाना दिया था मैंने उनसे पूछा कि क्या ये आपने दिया है आप इसे सूंघिये. उन्होंने कहा कि ये तो खराब है. जिसके बाद मैंने मैनेजर को बुलाया और उनको भी दाल सुंघाई. कैंटीन के छह कर्मचारियों ने कहा कि ये खाना खाने लायक नहीं है, क्यों कि वह सड़ा हुआ था. 

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मटर-चिकन सब पुराना रहता है

मैं उनको कई बार समझा चुका हूं कि अच्छा खाना दिया करो. इनकी मटर 15 दिन पहले की रहती है. चिकन भी 15 दिन पुराना रहता है. अंडे अंदर से काले रहते हैं. विधायक ने कहा कि मैं किसान हूं, सब्जी देखकर बता सकता हूं कि खाना कब बनाया गया है.  ये लोग हर दिन महाराष्ट्र के 10 हजार लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं. किसानों की जान से खेलते हैं. हाल ये है कि शिकायत करने पर ये लोग सुनते नहीं हैं. कई लोग बता चुके हैं कि उनके खाने में क्या-क्या निकलता है.

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ग्राहकों ने की विधायक की आलोचना

एनडीटीवी ने कैंटीन के ग्राहकों से भी इस मुद्दे पर बात की. ज़्यादातर ग्राहकों ने कहा कि खाने की क्वालिटी में सुधार की ज़रूरत है, लेकिन विधायक ने जिस तरह से कैंटीन कर्मचारियों को पीटा, वह ठीक नहीं था. कैंटीन कर्मचारियों ने भी अपने साथी के साथ मारपीट की आलोचना की. बता दें कि  संजय गायकवाड़ ने खाने का ऑर्डर दिया था, जब उनको खराब दाल दी गई तो वह पना आपा खो बैठे. उन्होंने कैंटीन संचालक को छप्पड़ और घूंसे जड़ दिए.