मुंबई में 72 साल के बिजनेसमैन के साथ 35 करोड़ का शेयर घोटाला! बुजुर्ग को भनक भी नहीं लगी

मुंबई में माटुंगा वेस्ट में रहने वाले 72 वर्षीय भरत हरकचंद शाह ने आरोप लगाया है कि गोरेगांव (पूर्व) स्थित ग्लोब कैपिटल मार्केट लिमिटेड नाम की ब्रोकरेज कंपनी ने उनके भरोसे का फायदा उठाकर लगभग 35 करोड़ रुपये का नुकसान करा दिया.

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  • मुंबई में भरत हरकचंद शहा ने ग्लोब कैपिटल मार्केट लिमिटेड पर 35 करोड़ रुपये का फ्रॉड करने का आरोप लगाया
  • कंपनी ने चार साल तक बिना अनुमति उनके और पत्नी के डीमेट खातों में ट्रेडिंग की और पूरा नियंत्रण संभाला
  • शुरुआत में कंपनी ने सुरक्षित ट्रेडिंग का भरोसा दिलाकर नियमित मुनाफा दिखाया
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मुंबई:

मुंबई में एक चौंकाने वाला फ्रॉड का मामला सामने आया है. माटुंगा वेस्ट में रहने वाले 72 वर्षीय भरत हरकचंद शहा ने आरोप लगाया है कि गोरेगांव (पूर्व) स्थित ग्लोब कैपिटल मार्केट लिमिटेड नाम की ब्रोकरेज कंपनी ने उनके भरोसे का फायदा उठाकर लगभग 35 करोड़ रुपये का नुकसान करा दिया. एफआईआर के मुताबिक, कंपनी के कर्मचारियों ने शाह को  'सुरक्षित ट्रेडिंग' का लालच देकर इतना विश्वास जीत लिया. फिर चार साल तक उनके और उनकी पत्नी के डीमेट खातों में बिना पूछे करोड़ों के सौदे होते रहे, OTP से लेकर ईमेल तक का एक्सेस कंपनी के प्रतिनिधियों के पास था और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी.

भरत शहा पिछले करीब तीन दशक से माटुंगा वेस्ट में रह रहे हैं. परेल में वे पांच दशक से एक गेस्ट हाउस चलाते हैं, जहां कैंसर मरीज और उनके परिजन कम किराए पर रुकते हैं. 1984 में पिता के निधन के बाद काफी मात्रा में शेयर उनके और उनकी पत्नी के नाम ट्रांसफर हुए थे. लेकिन न उन्हें और न उनकी पत्नी को शेयर बाजार की समझ थी, इसलिए कभी एक्टिव ट्रेडिंग नहीं की. 

2020 में खुला खाता, यहीं से शुरू हुआ खेल

साल 2020 में एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने ग्लोब कैपिटल मार्केट लिमिटेड में अपना और पत्नी का डीमेट व ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाया. विरासती शेयर इसी कंपनी में ट्रांसफर कर दिए गए. शुरुआत में सब सामान्य था. फिर कंपनी के प्रतिनिधि लगातार संपर्क में आना शुरू हुए और शहा को यह भरोसा दिलाया गया कि ट्रेडिंग के लिए अलग पैसे लगाने की जरूरत नहीं. शेयर को रखकर सुरक्षित तरीके से ट्रेड किया जा सकता है. इसमें नियमित मुनाफा मिलेगा और कंपनी की तरफ से 'पर्सनल गाइड' मिलेंगे. इसी बहाने दो लोग अक्षय बारीया और करण सिरोया ने शहा के पोर्टफोलियो को 'संभालने' के नाम पर तैनात कर दिए गए.

OTP से लेकर ईमेल तक सबकुछ कंपनी के हाथ में

एफआईआर के अनुसार, यह दोनों प्रतिनिधि रोज़ाना उन्हें फोन कर बताते थे कि कौन सा ऑर्डर लगाना है. कुछ समय बाद कंपनी के कर्मचारी उनके घर आकर लेपटॉप से ईमेल भेजने लगे. धीरे-धीरे स्थिति यहां तक पहुंच गई कि हर ओटीपी वे ही डालते, हर एसएमएस, ईमेल वे ही खोलकर जवाब देते. शहा को सिर्फ वही जानकारी सुनाई जाती जो उन्हें सुनाई जानी चाहिए. उनके अकाउंट का पूरा कंट्रोल कंपनी के पास चला गया. 

चार साल तक खाते से होती रही ट्रेडिंग, ‘मुनाफा' दिखता रहा

मार्च 2020 से जून 2024 तक शहा को कंपनी की तरफ से जो डिटेल मिलते थे, उनमें सबकुछ ठीक दिखाया जाता था. स्टेटमेंट में मुनाफा दिखता था, इसलिए उन्हें कभी शक नहीं हुआ कि पर्दे के पीछे कुछ और चल रहा है. लेकिन जुलाई 2024 में शहा को ग्लोब कैपिटल के रिस्क मैनेजमेंट विभाग से कॉल आया कि आपके और आपकी पत्नी के खातों में 35 करोड़ रुपये का डेबिट बैलेंस है. तुरंत भरना होगा, नहीं तो शेयर बेच दिए जाएंगे. कंपनी पहुंचकर पता चला कि उनके खातों से लगातार भारी ट्रेडिंग की गई, करोड़ों के शेयर बेचे गए, अनेक बार एक ही पार्टी के साथ खरीद-फरोख्त (Circular Trades) हुई. अकाउंट को धीरे-धीरे घाटे में धकेला गया. 

शेयर बेचकर चुकाए 35 करोड़, फिर खुली हेराफेरी की कहानी

परिवार से सलाह लेकर शहा ने खुद मार्केट में अपने शेयर बेचकर 35 करोड़ रुपये चुकाए. शेष बचे शेयर उन्होंने किसी दूसरी कंपनी में ट्रांसफर कर दिए. इसी दौरान जब उन्होंने ग्लोब की वेबसाइट से असली स्टेटमेंट डाउनलोड कर पुराने ईमेल से मिले स्टेटमेंट से मिलान किया, तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं. दोनों स्टेटमेंट में भारी अंतर, कई NSE नोटिस कंपनी को मिली थीं. कंपनी ने उन नोटिसों का जवाब शहा के नाम से भेजा, लेकिन शहा को किसी नोटिस का कोई पता नहीं था. असली ट्रेडिंग हिस्ट्री ईमेल में दिखाए गए डेटा से बिल्कुल अलग थी. 

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शहा का दावा है कि कंपनी ने चार साल तक हमें झूठी तस्वीर दिखाई, जबकि असली नुकसान बढ़ता गया. अब उन्‍होंने एफआईआर दर्ज कराई  और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने मामले की जांच शुरू कर दी है. भरत शहा ने पूरे मामले को संगठित आर्थिक धोखाधड़ी बताते हुए कार्रवाई की मांग की. वनराई पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है, जिनमें IPC 409, 420, 465, 467, 468, 471, 34 की धाराएं शामिल हैं. 

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