बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ प्रदर्शन करने पर पूर्व सांसद व एनसीपी नेता आनंद परांजपे के खिलाफ 11 प्राथमिकी दर्ज किए जाने को लेकर शुक्रवार को महाराष्ट्र पुलिस को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पी के चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस तभी सबक सीखेगी जब उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. उसका भुगतान उन्हें अपने वेतन से करने का निर्देश दिया जाएगा.
परांजपे ने सभी प्राथमिकी को एकसाथ जोड़ने के अनुरोध को लेकर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. अतिरिक्त लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि पुलिस 18 जनवरी तक सभी 11 प्राथमिकी में परांजपे के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी, जब मामले की अगली सुनवाई होगी.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता की ओर से पेश वकील सुहास ओक और विनोद उतेकर ने कहा कि 11 प्राथमिकी एक कारण से उत्पन्न हुई है, जो राजनीतिक आंदोलन है. सरकारी वकील शिंदे ने कहा कि परांजपे के खिलाफ दर्ज अपराध जमानती हैं और वह सभी मामलों में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं. पीठ ने तब पूछा कि एक आरोपी को 11 मामलों में से प्रत्येक में जमानत के लिए आवेदन क्यों करना चाहिए, जब इतने मामले होने ही नहीं चाहिए थे.
पीठ ने कहा, ‘‘यह रुकना होगा. अंतत: आम आदमी भुगतता है.'' पीठ ने कहा, ‘‘पुलिसकर्मियों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए. जब जुर्माने का भुगतान उनके वेतन से होगा, तभी वे सीखेंगे.'' परांजपे की याचिका के अनुसार, उन्होंने ठाणे जिले में मुख्यमंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद 12 दिसंबर, 2022 को श्रीनगर पुलिस थाने में उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
याचिका में कहा गया है कि बाद में, मुख्यमंत्री शिंदे के समर्थकों ने विभिन्न थानों में 10 और प्राथमिकी दर्ज करायी, जो ठाणे पुलिस आयुक्तालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
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