Maharashtra : पहली लहर में हॉटस्पॉट रहीं महाराष्ट्र के महानगर मुंबई (Mumbai)की झुग्गी बस्तियां अब कोरोना मुक्त हो गई हैं. झुग्गियों में अब एक भी कंटेनमेंट ज़ोन नहीं है, लेकिन इन बस्तियों में अब सबसे बड़ी चुनौती है टीकाकरण. पहले वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में काफी हिचकिचाहट देखी गई थी लेकिन अब स्थिति बदल गई हैं. लोग वैक्सीन की डोज ले रहे हैं और इसी कारण टीकाकरण केंद्रों के बाहर लम्बी लम्बी क़तार दिख रही है. ये झुग्गियां कोरोना महामारी की पहली लहर में कोविड-19 का हॉटस्पॉट रहीं थीं लेकिन मुंबई के कुल 24 वार्डों में अब एक भी ऐसा स्लम नहीं जिसे कोरोना के कारण बंद या सील किया गया हो! शहर की करीब-करीब आधी आबादी इन्हीं बस्तियों में बस्ती है.
एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में कोरोना शून्य पर पहुँच चुका है. फरवरी के दूसरे हफ्ते से शुरू हुई दूसरी लहर में अभी तक धारावी में 12वीं बार कोरोना के नए मामले ‘शून्य' रहे हैं.डॉक्टर्स एसोसियेशन, बीएमसी और NGO की घर-घर टेस्टिंग, ट्रेसिंग और मेडिकल कैंप की मुहिम से कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में यह कामयाबी मिली है. साई हॉस्पिटल,धारावी-चेंबूर के सीईओ, डॉक्टर तौसीफ़ शेख़ कहते हैं' डॉक्टर एसोसिएशन और बृहन्नमुंबई म्युनिसिपल कार्पोरेशन (बीएमसी) ने मिलकर जो घर-घर टेस्टिंग और स्क्रीनिंग की उससे बहुत मदद मिली. इस मुहिम ने लोगों के डर को ख़त्म किया. पहले लोग RTPCR से डरते थे, लेकिन अब सब इस बीमारी को समझते हैं. शहर की सामाजिक संस्थान BJS के संतोष निंबोरे ने भी कहा, 'हर जगह, हर गली, हर नुक्कड़ और हर सोसायटी, NGO को साथ में लेकर हमने मेडिकल कैम्प लगाए. सभी को मुफ़्त में दवा बांटी. इसलिए आज हमारी मेहनत के कारण यहां कोरोना मुक्ति हो रही है.'
इन झुग्गियों बस्तियों में अब सबसे बड़ी चुनौती लोगों के टीकाकरण की है. पहले लोगों के बीच टीकाकरण को लेकर हिचक थी लेकिन ट्रैवल-कामकाज से लेकर जगह-जगह पर वैक्सीन की अनिवार्यता के बीच अब जब यह हिचक दूर हुई है तो वैक्सीनेशन सेंटरों पर लोगों की लंबी कतारें नजर आ रही हैं. लोगों को पता है कि लोकल का सफर हो या काम, टीका नहीं कराएंगे तो जाएंगे कैसे? मुंबई में रोज़ाना के कोविड संक्रमण के मामले 250-300 तक बने हुए हैं. इस समय 100% कंटेनमेंट ज़ोन अब इमारतों में हैं. फ़िलहाल शहर की 21 बिल्डिंगें कोविड के कारण सील हुई हैं.