Maharashtra: महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी में फिर से तनाव की खबर गर्म है, खासकर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) के बयान के बाद. नाना पटोले ने एक दिन पहले लोनावाला में बयान दिया था कि महाराष्ट्र सरकार उनकी जासूसी करवा रही है. वे क्या करते हैं, कहां जाते हैं, ये सब जानकारी सुबह 9 बजे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) और उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Deputy CM Ajit Pawar) को दी जाती है. पटोले ने आरोप लगाया था कि खुफिया विभाग के जरिये उन पर नजर रखी जा रही हैं. नाना पटोले के इस बयान से गठजोड़ में मतभेद की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनने लगी, इसके बाद महा विकास अघाड़ी की ओर से 'डैमेज कंट्रोल' की कोशिश की गई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी NCP की ओर से इस मामले में स्पष्टीकरण आया. अहम बात यह है कि पटोले की अपनी पार्टी कांग्रेस भी इस मामले में उनके साथ खड़ी नजर नहीं आई.
'कांग्रेस में नाना पटोले के बयान पर नाराजगी नहीं पर चर्चा करेंगे' : पूर्व सीएम अशोक चव्हाण
NCP के प्रवक्ता नवाब मलिक (Nawab Malik) ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि सरकार में जो भी महत्वपूर्ण लोग होते हैं सुरक्षा के लिहाज से उनके बारे में जानकारी रखी जाती है. अगर नाना पटोले सुरक्षा नही चाहते हैं तो सरकार को बता दें. उधर, NCP सुप्रीमो शरद पवार (Shard Pawar) ने नाना पटोले के बयान पर यह कहकर टिप्पणी से इनकार कर दिया कि वो छोटे आदमी हैं उस पर क्या बोलूं ?
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले बोले- अमिताभ और अक्षय कुमार को दिखाएंगे काले झंडे
एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर पवार के इस बयान से कांग्रेस में नाराजगी स्वाभाविक थी. लेकिन हैरानी की बात है कांग्रेस ने इस पर चुप्पी साध रखी है. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने तो उलटे शरद पवार को देश का बड़ा नेता बताया और उनका सम्मान करने की बात कही. सवाल है क्या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का कोई सम्मान नही है? हैरानी इस बात की भी है कि खुद नाना पटोले भी अपने बयान से मुकर गए हैं. प्रदेश प्रभारी एचके पाटिल ने तो पूरे मामले में मीडिया को ही कटघरे में खड़ा किया है कि नाना पटोले के बयान को मीडिया ने तोड़मरोड़ कर पेश किया है. सवाल है प्रदेश में खुद को नम्बर एक की पार्टी बनाने में लगी कांग्रेस आखिर क्यों इस तरहं के बयान और फिर अपमान के घुट पीकर चुप रहने को मजबूर है?