महाराष्ट्र में महायुती गठबंधन जब से सत्ता में वापस आया है तबसे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खबरों में बने हुए हैं. कभी अपनी नाराजगी को लेकर तो कभी कॉमेडियन कुणाल कमरा की वजह से. ताजा मामला उनके अजित पवार से टकराव का है. महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शिंदे ने पूरे मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की फरियाद की है.
एकनाथ शिंदे और अजित पवार दोनों उपमुख्यमंत्री हैं और अपनी-अपनी पार्टियों, शिवसेना और एनसीपी के प्रमुख हैं. विधानसभा में ताकत के हिसाब से शिवसेना दूसरे स्थान पर है, उसके बाद एनसीपी, जबकि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है हालांकि शिंदे खेमा महसूस करता है कि उसे सरकार के भीतर सौतेला व्यवहार मिल रहा है. शिंदे और पवार के बीच टकराव राज्य के सियासी पंडितों को स्पष्ट दिखाई दे रहा है.
टकराव का मुख्य कारण वित्त मंत्री अजित पवार द्वारा विभिन्न विभागों को धन बांटने का तरीका है. शिवसेना के मंत्रियों को लगता है कि धन का आवंटन असमान रूप से किया जा रहा है, जो बीजेपी और एनसीपी के मंत्रियों के विभागों को फायदा पहुंचा रहा है. शिवसेना के पास वाले राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों को अधूरा वेतन भुगतान इसका हालिया उदाहरण है, जिसने दोनों सहयोगियों के बीच तनाव पैदा किया. साथ ही वित्त विभाग द्वारा फाइलों को मंजूरी में देरी ने भी शिंदे सेना को नाराज किया है.
शिंदे और पवार के बीच एक और विवाद विभिन्न जिलों के लिए प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर है. नासिक और रायगढ़ दो विवादास्पद जिले हैं, जहां दोनों नेता अपने लोगों को प्रभारी मंत्री बनाना चाहते हैं. इस विवाद के कारण मुख्यमंत्री फडणवीस ने इन दो जिलों के लिए नियुक्तियों को स्थगित रखा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एकनाथ शिंदे ने अपनी चिंताओं से अमित शाह को अवगत कराने के लिए उनके साथ दो गुप्त बैठकें कीं हालांकि कैमरे पर शिंदे ने पवार के खिलाफ शिकायत करने से इनकार किया है. पवार ने भी दावा किया कि उनके और शिंदे के बीच सब ठीक है.
यह देखना दिलचस्प होगा है कि महायुति गठबंधन के भीतर आंतरिक कलह का आगामी नागरिक निकाय चुनावों पर कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं हालांकि तीनों पार्टियों ने पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ लड़े थे, यह अभी अस्पष्ट है कि वे नागरिक निकाय चुनावों में गठबंधन में लड़ेंगे या नहीं.