महाराष्ट्र की सियासत फिर तकरार! गृह विभाग के कार्यक्रम से शिंदे ने बनाई दूरी

महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट और बीजेपी के बीच चल रही तनातनी अब खुलकर सामने आ गई है. जहां एक दिन पहले शिंदे गुट के मंत्रियों ने कैबिनेट की बैठक से अनुपस्थित रहकर अपनी नाराजगी जताई थी,

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  • महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी के बीच गठबंधन में गंभीर तनाव खुलकर सामने आया है
  • उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गृह विभाग के महत्वपूर्ण उद्घाटन कार्यक्रम में अनुपस्थिति दर्ज कराई है
  • टकराव की वजह डोंबिवली में बीजेपी द्वारा शिंदे गुट के स्थानीय नेताओं को पार्टी में शामिल करना बताई जा रही है
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महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट और बीजेपी के बीच चल रही तनातनी अब खुलकर सामने आ गई है. जहां एक दिन पहले शिंदे गुट के मंत्रियों ने कैबिनेट की बैठक से अनुपस्थित रहकर अपनी नाराजगी जताई थी, वहीं अब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का खुद गृह विभाग के एक महत्वपूर्ण उद्घाटन कार्यक्रम से नदारद रहना, इस टकराव को और गहरा करता दिख रहा है.

प्रमुख कार्यक्रम से शिंदे नदारद

बुधवार को गृह विभाग के एक उद्घाटन कार्यक्रम में सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार मौजूद थे, लेकिन डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे कार्यक्रम से अनुपस्थित रहे. शिंदे गुट के मंत्रियों की कैबिनेट बैठकों से गैरहाजिरी के बाद, यह ताजा घटनाक्रम गठबंधन की स्थिरता पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है.

टकराव की जड़

सूत्रों के अनुसार, इस पूरे तनाव की मुख्य वजह स्थानीय जनाधार को कमजोर करने की कोशिशें हैं. इस टकराव की शुरुआत डोंबिवली में हुई, जहां बीजेपी ने शिंदे गुट के प्रमुख स्थानीय नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. जवाब में, शिंदे के मंत्रियों ने कल कैबिनेट की बैठक से अनुपस्थित रहकर अपनी नाराजगी जताई और दबाव की रणनीति अपनाई.

उलझन में दलबदल का खेल

इस 'प्रेशर पॉलिटिक्स' के बीच, बीजेपी सूत्रों ने भी शिंदे गुट को आइना दिखाया है. उनका कहना है कि उल्हासनगर में सबसे पहले शिंदे गुट ने ही बीजेपी के स्थानीय सदस्यों को अपने पाले में शामिल करने की शुरुआत की थी. यह दल-बदल की राजनीति मुख्य रूप से सत्ता-साझेदारी में उचित महत्व और आगामी स्थानीय चुनावों में अपनी ताकत बनाए रखने के डर से प्रेरित है.

'प्रेशर टैक्टिक्स' अस्वीकार्य: बीजेपी

इस बढ़ते तनाव पर बीजेपी सूत्रों ने साफ कर दिया है कि वह शिंदे गुट की इन "प्रेशर टैक्टिक्स" को स्वीकार नहीं करेगी. दोनों सहयोगियों के बीच यह आर-पार की लड़ाई महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए उथल-पुथल का संकेत दे रही है. देखना होगा कि यह गठबंधन इस आपसी टकराव से कैसे निपटता है और क्या शिंदे गुट अपनी शर्तों पर उचित महत्व हासिल कर पाता है या नहीं.

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