कांग्रेस ने अगर MVA से अलग होकर लड़ा BMC चुनाव, तो किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा?

कांग्रेस के अलग BMC चुनाव लड़ने से उद्धव ठाकरे की शिवसेना को मुस्लिम वोटों से हाथ धोना पड़ सकता है, लेकिन उसे उम्मीद है कि राज ठाकरे की पार्टी MNS से गठबंधन करके मराठी वोटों में मजबूती मिल सकती है.

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BMC चुनाव में बीजेपी को हो सकता है फायदा.

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  • बीएमसी चुनाव में कांग्रेस महा विकास अघाड़ी से अलग लड़ने की योजना बना रही है.
  • कांग्रेस ने अलग चुनाव लड़ा तो बीजेपी को फायदा हो सकता है.
  • कांग्रेस ने 2017 के बीएमसी चुनाव में 227 सीटों में से केवल 31 सीटें जीती थीं.
  • MVA में कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी शामिल हैं, जो पहले गठबंधन में चुनाव लड़े थे.
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मुंबई:

मुंबई के आगामी बीएमसी चुनाव कांग्रेस महा विकास अघाड़ी से अलग होकर लड़ने की तैयारी (Mumbai BMC Election) कर रही है. अगर ऐसा होता है तो अल्पसंख्यक वोटों के बंटवारे से बीजेपी को फायदा मिल सकता है. जबकि बीजेपी ने महायुति गठबंधन में रहते हुए बीएमसी चुनाव लड़ने का फैसला किया है. सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की बैठक में महाराष्ट्र के तमाम दिग्गज नेताओं के अलावा राज्य प्रभारी रमेश चेन्निथला और महासचिव मुकुल वासनिक भी शामिल हुए. बैठक में राज्य इकाई के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि मुंबई में कांग्रेस (Mumbai Congress) को मजबूत करने के लिए उसका अकेले चुनाव लड़ना जरूरी है. 2017 में हुए पिछले बीएमसी चुनाव में कांग्रेस 227 सीटों में से सिर्फ 31 सीटें जीत पाई थी.

कांग्रेस-शिवसेना बीएमसी के बड़े खिलाड़ी

महा विकास अघाड़ी में तीन प्रमुख घटक दल हैं, जिनमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी शामिल है. सीपीआई और समाजवादी पार्टी की मुंबई में खास मौजूदगी नहीं है, लेकिन कांग्रेस और शिवसेना बीएमसी के बड़े खिलाड़ी रहे हैं.साल 2019 में महा विकास अघाड़ी बनने के बाद इन तीनों पार्टियों ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़े, जिसका उन्हें कुछ हद तक फायदा भी मिला.

महा विकास अघाड़ी से जुड़ने के बाद उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की कट्टर हिंदुत्ववादी छवि को बदला. अघाड़ी की प्रस्तावना में दो बार "सेक्युलर" शब्द का उल्लेख किया गया था. सेक्युलरवाद का विरोध करने वाली शिवसेना ने उस प्रस्तावना को स्वीकार कर लिया. उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अपने हिंदुत्व से मुस्लिम विरोधी तत्व को हटा दिया. यही वजह रही कि मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान उद्धव की पार्टी के उम्मीदवारों को मुस्लिम बहुल इलाकों से भी अच्छे खासे वोट मिले.

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मुस्लिम वोटों का हो सकता है बंटवारा

अब अगर कांग्रेस और शिवसेना (UBT) अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा तय है. कई मुस्लिम बहुल इलाकों में उद्धव ठाकरे की पार्टी ने अपनी इकाइयां बना ली हैं. इसके अलावा समाजवादी पार्टी और ओवैसी की AIMIM भी आक्रामक तरीके से मुस्लिम वोट बैंक पर दावा ठोक रही हैं. मुस्लिम वोटों के इस बंटवारे का सीधा फायदा महायुति गठबंधन को मिल सकता है, जिसमें बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी शामिल हैं.

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कांग्रेस के अलग चुनाव लड़ने से उद्धव ठाकरे की शिवसेना को मुस्लिम वोटों से हाथ धोना पड़ सकता है, लेकिन उसे उम्मीद है कि राज ठाकरे की पार्टी MNS से गठबंधन करके मराठी वोटों में मजबूती मिल सकती है. अगर उद्धव और राज ठाकरे बीएमसी चुनाव के लिए साथ आ जाते हैं तो समीकरण बदल सकते हैं और मराठी वोटों के सहारे उद्धव की पार्टी एक बार फिर सत्ता में लौट सकती है.

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पिछले BMC चुनाव में BJP को कितनी सीटों पर मिली जीत?

पिछले बीएमसी चुनाव में अविभाजित शिवसेना को 84 सीटें मिली थीं. बीजेपी ने 82 सीटें जीतकर शिवसेना से सिर्फ दो सीटें कम पाई थीं. उस समय, अगर बीजेपी चाहती तो निर्दलीयों और अन्य पार्षदों के सहयोग से अपना मेयर बना सकती थी. लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने यह सोचकर मेयर का पद शिवसेना को दे दिया कि 2019 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव शिवसेना के साथ गठबंधन में लड़ना है, और ऐसे में रिश्ते खराब करना ठीक नहीं होगा. 

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