स्पीड ब्रेकर राजनीति से थक गए...; आदित्य ठाकरे को चुनावी मैदान में चुनौती देने पर मिलिंद देवड़ा

साल 2019 की तुलना में अब महाराष्ट्र की सियासत में भी काफी बदलाव आया है. यहां शिवसेना के दो गुट हैं. एक गुट का नेतृत्व उद्धव ठाकरे करते हैं, जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व एकनाथ शिंदे करते हैं. वहीं एनसीपी के भी दो फाड़ हो चुके हैं, ऐसे में इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है.

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वर्ली सीट पर मिलिंद देवडा और आदित्य ठाकरे में टक्कर
मुंबई:

महाराष्ट्र में पिछले कुछ सालों में जो कुछ घटा, उसने अबकी बार का विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प बना दिया है. यही वजह है कि इस बार सभी की नजरें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर है. इस चुनाव में कुछ एक सीट ऐसी है, जिनकी खूब चर्चाएं हो रही है. मुंबई की वर्ली सीट की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है, महाराष्ट्र की वर्ली विधानसभा सीट हॉट सीट है. यहां से विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी से शिवसेना (यूबीटी) ने अपना प्रत्याशी उतारा है. दरअसल, यहां से आदित्य ठाकरे चुनावी मैदान हैं, वहीं उनके सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा हैं.

आदित्य से मुकाबले पर क्या बोले देवड़ा

शिवसेना नेता मिलिंद देवड़ा ने पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे आदित्य ठाकरे के साथ व्यक्तिगत' मुकाबले की किसी भी बात को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि अब मुझे लगता है कि लोग स्पीड ब्रेकर राजनीति से थक चुके हैं. लोग चाहते हैं कि महाराष्ट्र आगे बढ़े... यही उद्देश्य है, देवड़ा ने NDTV से कहा, उन्होंने आदित्य ठाकरे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी गठबंधन की आलोचना की, जो जून 2022 के विद्रोह तक सत्ता में था.

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने आदित्य ठाकरे के खिलाफ मिलिंद देवड़ा को टिकट दिया है. शिंदे ने आदित्य ठाकरे की घेराबंदी करने के लिए मिलिंद देवड़ा जैसे मजबूत चेहरे पर दांव चला है।

देवड़ा ने शिंदे सरकार के काम की तारीफ की

देवड़ा ने कहा कि शिंदे सरकार के प्रयासों की बदौलत यह विकास पूरे मुंबई में दिखाई दे रहा है...चाहे आप एक साधारण महिला हों या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वाली कोई महिला, या कार से आने-जाने वाली कोई महिला... बुनियादी ढांचे के विकास में बहुत तेजी आई है..."

मैं लोगों की सेवा करना चाहता हूं...

देवड़ा ने कहा, "महाराष्ट्र सरकार ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है...चाहे वह सामाजिक कल्याण या बुनियादी ढांचे के लिए हो और, इसलिए लोग इस सरकार को फिर से चुनेंगे. जहां तक ​​खुद का सवाल है, मैं लोगों की सेवा करना चाहता हूं. अगर मुझे संसद या विधानसभा के माध्यम से सेवा करने का अवसर मिलता है... तो मेरे लिए सेवा ही सेवा है. मेरा उद्देश्य है - आप लोगों को कैसे सशक्त बना सकते हैं? यही मेरा उद्देश्य है." "मैं इस क्षेत्र को जानता हूं.. इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुका हूं," 

वर्ली विधानसभा एक हाईप्रोफाइल सीट है. यहां 2019 में आदित्य ठाकरे ने बाजी मारी थी. ये बात शिवसेना में फूट से पहले की थी. उस दौरान उन्होंने शिवसेना प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और उन्हें 89,248 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर एनसीपी प्रत्याशी सुरेश माने रहे थे.

वर्ली की लड़ाई में कौन भारी

जूनियर ठाकरे यानि आदित्य ठाकरे वर्ली सीट सीट से  लड़ रहे हैं, यह पॉश इलाका मुंबई (दक्षिण) लोकसभा क्षेत्र में है ये 2014 से ठाकरे सेना के पास है. यह पॉश इलाका मुंबई (दक्षिण) लोकसभा क्षेत्र में है जिसे देवड़ा परिवार का गढ़ माना जाता रहा है, लोकसभा चुनाव में ठाकरे सेना ने मुंबई (दक्षिण) में जीत हासिल की, इसलिए आदित्य ठाकरे बेफिक्र हैं.

आदित्य ने बीजेपी को बताया खोखले वादों की पार्टी

जूनियर ठाकरे ने गुरुवार को नामांकन दाखिल करने के दौरान एक विशाल रैली का नेतृत्व किया और NDTV से कहा, "...लोगों को एहसास हो गया है कि बीजेपी खोखले वादों वाली पार्टी है (और) एकनाथ शिंदे के खिलाफ खड़े होंगे..." वर्ली की लड़ाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "आप लोगों की प्रतिक्रिया देख सकते हैं. यह उनका प्यार है... सड़कों पर आम आदमी और महिला मुझे अपना आशीर्वाद दे रहे हैं."

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राज ठाकरे बनेंगे डार्क हॉर्स

राज ठाकरे इस चुनाव में डार्क हॉर्स हो सकते हैं. उनकी पार्टी MNS ने आदित्य ठाकरे के चुनावी डेब्यू का सम्मान करने के लिए 2019 में वर्ली से उम्मीदवार नहीं उतारा था. लेकिन इस बार आदित्य ठाकरे के लिए वर्ली में चाचा की पार्टी से चुनौती मिल रही है. इस सीट से एमएनएस उम्मीदवार देशपांडे ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "2017 में (नगर निगम चुनावों में), हमने वर्ली से लगभग 30,000 से 33,000 वोट हासिल किए थे. हमारे यहां MNS के लिए समर्पित मतदाता हैं..."

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