JNU में लगेगी छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा, महाराष्ट्र के मंत्री ने कही ये बात

उदय सामंत ने कहा कि शिवाजी महाराज की युद्ध नीति पर एक खास पाठ्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है. इसके लिए तत्कालीन  मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 10 करोड़ रुपये की मदद दी थी. उससे पहले 17 साल पहले राज्य सरकार ने 2 करोड़ रुपये दिए थे.

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  • दिल्ली के जेएनयू परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य घोड़े पर सवार प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया गया है.
  • शिवाजी महाराज की युद्ध नीति पर विशेष पाठ्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है.
  • दिल्ली के मराठी स्कूलों को आर्थिक सहायता दी जाएगी और मराठी भवन निर्माण का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जाएगा.
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दिल्ली के जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य घोड़े पर सवार वाली प्रतिमा लगाने का फैसला किया गया है. यह जानकारी महाराष्ट्र के उद्योग और मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने बाला साहब भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में दी. इस फैसले की घोषणा मुख्यमंत्री फडणवीस की उपस्थिति में हुई. उदय सामंत ने कहा कि मराठी भाषा को लेकर अब राजनीति या आंदोलन नहीं, बल्कि सीधा और मजबूत काम हो रहा है. जेएनयू में "छत्रपति शिवाजी महाराज संरक्षण और सामरिक विशेष अध्ययन केंद्र" शुरू किया जा रहा है. साथ ही "कुसुमाग्रज मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति विशेष केंद्र" भी शुरू होगा.

शिवाजी महाराज की युद्ध नीति पर भी खास पाठ्यक्रम हो रहा तैयार

उन्होंने बताया कि शिवाजी महाराज की युद्ध नीति पर एक खास पाठ्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है. इसके लिए तत्कालीन  मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 10 करोड़ रुपये की मदद दी थी. उससे पहले 17 साल पहले राज्य सरकार ने 2 करोड़ रुपये दिए थे. आने वाले दो महीनों में कुलपति से मिलकर बाकी 3 करोड़ रुपये भी मराठी भाषा विभाग की ओर से दिए जाएंगे.

दिल्ली के मराठी स्कूलों को दी जाएगी आर्थिक मदद

मंत्री सामंत ने कहा कि जेएनयू में शिवाजी महाराज की जो प्रतिमा लगेगी, वो बहुत ही भव्य और प्रेरणादायक होगी. इससे करोड़ों मराठी लोगों को गर्व महसूस होगा. इसके लिए मराठी भाषा विभाग ने विश्वविद्यालय को जमीन की मांग का पत्र भी भेजा है. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में मराठी अध्ययन केंद्र और शिवाजी महाराज की युद्ध नीति पर पाठ्यक्रम शुरू होने से मराठी भाषा और मराठा इतिहास दुनिया भर में पहुंचेगा. दिल्ली के मराठी स्कूलों को आर्थिक मदद दी जाएगी और अगले दो महीने में "मराठी भवन" बनाने का प्रस्ताव भी वित्त विभाग को भेजा जाएगा. अंत में मंत्री सामंत ने कहा कि यह सब प्रयास मराठी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए हो रहे हैं. महायुति सरकार ने मराठी को "अभिजात भाषा" का दर्जा दिया है, जो कि एक तरह का सरकारी मान्यता है. शिवाजी महाराज की युद्ध नीति, सुरक्षा की सोच और स्वराज्य की भावना अब देश के बड़े विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाएगी.

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