4,000 करोड़ के निजीकरण टेंडर के खिलाफ BMC कर्मियों का हल्लाबोल, मुंबई के आज़ाद मैदान में प्रदर्शन

सफाई यूनियनों का आरोप है कि इस निजीकरण से 7,000 से ज्यादा स्थायी और संविदा कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है.

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  • BMC ने ₹4,000 करोड़ के निजीकरण टेंडर के खिलाफ सफाईकर्मियों ने आज़ाद मैदान में जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
  • BMC ने एक बड़ा टेंडर जारी किया है, जिसके तहत 22 वार्डों में कचरा उठाने, उसे ट्रकों में भरने और ट्रांसपोर्ट करने का काम निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा.
  • सफाईकर्मियों की यूनियनों का आरोप है कि इस प्रक्रिया से सात हजार से अधिक स्थायी और संविदा कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में हैं.
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मुंबई:

मुंबई की सफाई व्यवस्था को लेकर बड़ा टकराव सामने आया है. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) द्वारा ₹4,000 करोड़ के निजीकरण टेंडर के खिलाफ सफाईकर्मियों ने आज़ाद मैदान में जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया है. BMC ने हाल ही में एक बड़ा टेंडर जारी किया है, जिसके तहत मुंबई के 22 वार्डों में घर-घर से कचरा उठाने, उसे ट्रकों में भरने और ट्रांसपोर्ट करने का काम निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा. इस प्रक्रिया में मौजूदा ड्राइवर, मशीन ऑपरेटर और सफाईकर्मियों को हटाकर नई मशीनों और बाहरी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी.

97% कर्मचारी हड़ताल के पक्ष में

सफाई यूनियनों का आरोप है कि इस निजीकरण से 7,000 से ज्यादा स्थायी और संविदा कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. मई और जून के महीनों में यूनियनों ने कई बार विरोध दर्ज कराते हुए BMC से टेंडर रद्द करने की मांग की थी. स्थिति और गंभीर तब हुई जब 15 जुलाई को शहरभर में कराए गए मतदान में 97% कर्मचारियों ने हड़ताल के पक्ष में वोट दिया. इसके बाद आज यानी 17 जुलाई को सुबह 10 बजे से हजारों सफाईकर्मी आज़ाद मैदान में एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं.

यूनियन ने क्या कहा

प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस टेंडर को रद्द करने की मांग करेंगे. यूनियनों का कहना है कि यदि सरकार ने सुनवाई नहीं की तो वे हड़ताल पर जाने का अंतिम फैसला ले सकते हैं. इस बीच BMC का कहना है कि किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी और सभी मौजूदा कर्मचारियों को दूसरी शिफ्टों या विभागों में समायोजित किया जाएगा। साथ ही हर वार्ड में कर्मचारियों के साथ बैठकें कर उन्हें समझाने की योजना बनाई जा रही है. अब देखना यह होगा कि क्या सरकार और प्रशासन सफाईकर्मियों की मांगों को सुनता है या मुंबई एक बड़ी हड़ताल की ओर बढ़ रही है.

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