- वर्ली विधानसभा क्षेत्र में ठाकरे गुट के टिकट बंटवारे को लेकर गहरी नाराजगी सामने आई है
- टिकट न मिलने से नाराज कई स्थानीय नेताओं ने इस्तीफा देने की धमकी दी और पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी बात रखी
- उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में आधी रात को बैठक कर नाराज नेताओं को समझाकर पार्टी अनुशासन बनाए रखने की बात कही
BMC Elections 2026: मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों के बीच वर्ली विधानसभा क्षेत्र में ठाकरे गुट के लिए चिंताजनक हालात सामने आ रहे हैं. टिकट बंटवारे को लेकर पैदा हुई नाराजगी इतनी बढ़ गई है कि वर्ली के विधायक आदित्य ठाकरे भी इसे पूरी तरह काबू में नहीं कर पाए. आखिरकार पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को खुद मैदान में उतरना पड़ा. वर्ली विधानसभा क्षेत्र में AB फॉर्म के वितरण के बाद कई इच्छुक उम्मीदवार और स्थानीय पदाधिकारियों ने खुलकर नाराजगी जताई. इस असंतोष की गूंज सीधे मातोश्री तक पहुंची, जिसके बाद आधी रात को उद्धव ठाकरे ने खुद हस्तक्षेप करते हुए नाराज नेताओं के साथ बैठक की.
मनाने के लिए मातोश्री में बैठक
सूत्रों के अनुसार, बीएमसी चुनाव के लिए वर्ली से जिन उम्मीदवारों को AB फॉर्म दिए गए थे, उन्हें भी रात में मातोश्री बुलाया गया. इसके साथ ही, टिकट न मिलने से नाराज इच्छुकों को अलग-अलग समझाने की कोशिश की गई. उद्धव ठाकरे ने सभी की बात शांतिपूर्वक सुनी और पार्टी अनुशासन तथा आगामी चुनाव में एकजुटता बनाए रखने पर जोर दिया.
किन वार्डों में है विवाद
वर्ली के अलग-अलग वार्डों में टिकट वितरण को लेकर असंतोष खुलकर सामने आया है. वार्ड क्रमांक 193 में हेमांगी वर्लीकर को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद स्थानीय नेता सूर्यकांत कोली ने सीधे इस्तीफा दे दिया. इस घटनाक्रम से पार्टी नेतृत्व सकते में आ गया और उन्हें तुरंत मातोश्री बुलाया गया. वार्ड क्रमांक 196 में विभाग प्रमुख आशीष चेंबूरकर की पत्नी को टिकट दिए जाने से महिला शाखा प्रमुख संगीता जगताप और युवासेना की पदाधिकारी आकर्षिका पाटिल ने कड़ी नाराज़गी जताई. स्थानीय संगठन में ‘परिवारवाद' के आरोप लगाते हुए इन नेताओं ने अपना असंतोष खुलकर व्यक्त किया. वार्ड क्रमांक 197 मनसे को दिए जाने से ठाकरे गुट के कई पदाधिकारियों में बेचैनी फैल गई है. कुछ पदाधिकारियों ने सीधे इस्तीफा देने की चेतावनी दिए जाने की भी चर्चा है.
आदित्य ठाकरे के 'घर' में हो रहा बवाल
आदित्य ठाकरे का विधानसभा क्षेत्र होने के चलते वर्ली की नाराजगी को राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है. पार्टी के भीतर यह आशंका जताई जा रही है कि स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी चुनाव में नुकसान पहुंचा सकती है. कुछ वरिष्ठ नेताओं का निजी तौर पर कहना है कि “अगर वर्ली में असंतोष बढ़ा, तो इसका सीधा असर आदित्य ठाकरे की राजनीतिक छवि पर पड़ सकता है.”
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उद्धव ठाकरे ने स्वयं मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए सभी नाराज़ घटकों को एकजुट करने की कोशिश की. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव पार्टी के लिए बेहद अहम हैं और किसी भी तरह की आंतरिक कलह बर्दाश्त नहीं की जा सकती.
ठाकरे गुट के लिए खतरे की घंटी
वर्ली में टिकट को लेकर मचा घमासान ठाकरे गुट के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है. पहले से बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के बीच कार्यकर्ताओं की बढ़ती नाराजगी एक बड़ी चुनौती बन सकती है. हालांकि मातोश्री पर हुई आधी रात की बैठक को ‘डैमेज कंट्रोल' की शुरुआत माना जा रहा है, लेकिन यह नाराजगी कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी ढंग से शांत होती है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा.
बीएमसी चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच वर्ली की यह अस्थिरता ठाकरे गुट के लिए कितनी बड़ी चुनौती साबित होती है या उद्धव ठाकरे की सुलह-सफाई की रणनीति सफल रहती है, इस पर मुंबई के राजनीतिक गलियारों की निगाहें टिकी हुई हैं.














