Tansen Samaroh 2025: ग्वालियर में 101वां तानसेन समारोह; पं राजा काले व पं तरुण भट्टाचार्य को राष्ट्रीय सम्मान

Tansen Samaroh Gwalior: अपना शताब्दी वर्ष पूर्ण कर यह प्रतिष्ठित समारोह अब अपने 101वें स्वर्णिम पड़ाव की ओर अग्रसर है. 15 से 19 दिसम्‍बर, 2025 तक तानसेन समाधि स्‍थल हजीरा, ग्‍वालियर में संगीत सभाओं का आयोजन किया जा रहा है.

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Tansen Samaroh 2025: ग्वालियर में 101वें तानसेन समारोह; पं राजा काले व पं तरुण भट्टाचार्य को राष्ट्रीय सम्मान

Tansen Samaroh 2025 Gwalior: मध्य प्रदेश की संगीत नगरी ग्वालियर में सीएम डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) वर्चुअली जुड़कर तानसेन समारोह (Tansen Samaroh) का आगाज किया. इस कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पं राजा काले मुम्बई को वर्ष 2024 एवं विश्व विख्यात संतूर वादक पं तरुण भट्टाचार्य कोलकाता को वर्ष 2025 के तानसेन अलंकरण से सम्मानित किया गया. इसी तरह मण्डलेश्वर की साधना परमार्थिक संस्थान समिति को वर्ष 2024 एवं ग्वालियर की रागायन संगीत समिति को वर्ष 2025 के राजा मानसिंह तोमर सम्मान से अलंकृत किया गया. साधना परमार्थिक संस्था की ओर से प्रेरणा कोल्हटकर एवं रागायन संस्था की ओर से महंत रामसेवकदास महाराज ने सम्मान प्राप्त किया. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सभी सम्मानित कलाकारों को बधाई दीं. सीएम ने कहा कि “मध्यप्रदेश सरकार कला, संस्कृति का संरक्षण करते हुए विकास के पथ पर अग्रसर है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश में सांस्कृतिक अभ्युदय हो रहा है.”

इस बार ऐसी है थीम

ऐतिहासिक ग्वालियर दुर्ग से पूरी दुनिया को शून्य का परिचय करा रहे “चतुर्भुज मंदिर” की थीम पर तानसेन समाधि परिसर में बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर सोमवार की सांध्य बेला में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के वर्चुअल मुख्य आतिथ्य में शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश एवं दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव तानसेन समारोह का भव्य शुभारंभ हुआ. समारोह की अध्यक्षता संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने की.

सीएम मोहन यादव ने कहा कि “संगीत की नगरी ग्वालियर में आयोजित होने वाला तानसेन संगीत समारोह प्रदेश व देश का सबसे प्रतिष्ठित समारोह है. संगीत सम्राट तानसेन भारतीय शास्त्रीय संगीत के शिखर पुरुष थे. तानसेन की सुर और तान ने ग्वालियर को दुनिया में अलग पहचान दिलाई. गान महिर्षि तानसेन ने अपने गुरू स्वामी हरिदास जी के साधिन्य में संगीत की बारीकियां सीखकर ध्रुपद गायिकी सहित शास्त्रीय संगीत को नए आयाम दिए. तानसेन की ख्याति ऐसी थी कि उन्हें अकबर ने अपने नवरत्नों में शामिल किया."

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वैदिक काल से शास्त्रीय संगीत हमारे जीवन और संस्कृति का हिस्सा रहा है. सामवेद इसका साक्षी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में कला व संस्कृति को नए आयाम मिल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी अद्वितीय छाप छोड़ रहा है. आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है.”

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