Land Pooling Act: मध्य प्रदेश में लैंड पूलिंग एक्ट अब सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है. उज्जैन में किसानों के विरोध के बीच अब मामला सियासी रंग भी लेने लगा है. खास बात यह है कि इस बार विरोध किसी विपक्षी दल से नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक की ओर से सामने आया है. उज्जैन उत्तर से भाजपा विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर साफ चेतावनी दी है कि यदि लैंड पूलिंग एक्ट वापस नहीं लिया गया, तो वे किसानों के साथ आंदोलन में उतरेंगे.
किसान संघ के आंदोलन को समर्थन
भारतीय किसान संघ ने 26 दिसंबर से अनिश्चितकालीन ‘घेरा डालो आंदोलन' की घोषणा की है. इसके बाद विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा का खुलकर सामने आना सरकार के लिए असहज स्थिति बनाता दिख रहा है. विधायक ने कहा है कि किसानों की नाराजगी जायज है और यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे भी आंदोलन का हिस्सा बनेंगे.
संशोधन से और भड़के किसान
किसानों की नाराजगी की वजह लैंड पूलिंग एक्ट को वापस लेने की बजाय उसमें संशोधन करना है. किसान संघ का कहना है कि संशोधन से उनकी समस्याएं खत्म नहीं होंगी. इसी मुद्दे पर रविवार को किसान संघ के 18 जिलों के 217 पदाधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें 26 दिसंबर से प्रशासनिक संकुल भवन पर अनिश्चितकालीन घेरा डालो आंदोलन का फैसला लिया गया.
सीएम को विधायक का साफ संदेश
सोमवार को विधायक कालूहेड़ा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा. उन्होंने लिखा कि सिंहस्थ को देखते हुए उन्होंने पहले लैंड पूलिंग योजना का समर्थन किया था. लेकिन 17 नवंबर को भोपाल में हुई बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और किसान संघ की मौजूदगी में यह तय हुआ था कि लैंड पूलिंग एक्ट वापस लिया जाएगा. इसी भरोसे पर किसान संघ ने उज्जैन में उत्सव रैली निकाली थी, जिसमें वे खुद शामिल हुए थे.
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फैसले से पलटने का आरोप
विधायक ने पत्र में यह भी लिखा कि बाद में प्रशासन और मीडिया के जरिए पता चला कि लैंड पूलिंग एक्ट यथावत रखा गया है. इससे किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. इसी वजह से किसान संघ ने 26 दिसंबर को आंदोलन का निर्णय लिया है. विधायक ने स्पष्ट किया कि वे किसानों के सम्मान और हित में उनके साथ आंदोलन में शामिल रहेंगे.
विधायक की प्रमुख मांगें
पत्र में विधायक कालूहेड़ा ने मुख्यमंत्री से कुछ अहम मांगें भी रखीं. उन्होंने कहा कि सिंहस्थ क्षेत्र में अब तक बसे रहवासियों को आवासीय उपयोग का अधिकार दिया जाए. साथ ही, सिंहस्थ भूमि को ‘सिंहस्थ उपयोग' से मुक्त किया जाए और पिपलीनाका क्षेत्र की तीन सड़कों के चौड़ीकरण पर दोबारा विचार किया जाए.
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घेरा डालो आंदोलन का बैकग्राउंड
सरकार ने सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण के लिए लैंड पूलिंग एक्ट के तहत किसानों की जमीन लेने की योजना बनाई थी. इसके विरोध में किसान संघ ने पहले भी आंदोलन की चेतावनी दी थी. 17 नवंबर को सरकार द्वारा एक्ट निरस्त करने की घोषणा के बाद आंदोलन स्थगित किया गया, लेकिन 19 नवंबर को संशोधन आदेश जारी होते ही किसानों का गुस्सा फिर भड़क उठा.
खेतों में लगे भगवा झंडे
लैंड पूलिंग से प्रभावित 17 गांवों के किसानों ने विरोध के प्रतीक के रूप में अपने खेतों में भगवा झंडे लगा दिए हैं. किसान संघ का कहना है कि जब तक एक्ट पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता, आंदोलन जारी रहेगा.














