Success Story: हथकड़ी से DSP तक... दो बार जेल गए पर नहीं मानी हार ! मां की हथेली पर लिखी कसम ने ऐसे बदल दी जैनेंद्र की जिंदगी

Jainendra Kumar Nigam Inspirational Story: एक समय ऐसा आया जब जैनेंद्र कुमार निगम का पूरा परिवार अस्पताल और जेल के बीच बिखरा गया. इस दौरान जैनेंद्र भी टूट गए, लेकिन अस्पताल के बिस्तर पर लेटे पिता ने उन्हें हिम्मत दी. इसी दौरान उन्होंने मां की हथेली पर लिखा-'मम्‍मी! मैं पूरी मेहनत करूंगा. कुछ बन के द‍िखाऊंगा...''

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Jainendra Kumar Nigam Success Story: इतिहास गवाह है कि सपनों के लिए लड़े गए संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाते... और इसका जीता जागता गवाह जैनेंद्र कुमार निगम है. जिन्होंने एमपीपीएससी 2023 (MPPSC 2023) की परीक्षा में सफलता हासिल कर DSP बने. ये वो लड़का है, जिसे गैंगस्टर-बदमाश बनाने की पूरी साजिश रची गई. जेल में अपराधियों के बीच में रहा, लेकिन इसके बावजूद सफलता की इबारत लिखी...

फिल्म से कम नहीं है जैनेंद्र कुमार निगम की कहानी

जैनेंद्र कुमार निगम की सफलता की इस कहानी में गरीबी, संघर्ष, परिवार का बहिष्कार, जमीन पर कब्जा, अपराध, मारपीट, झूठे मुकदमे, जेल, राजनीति और कोर्ट-कचहरी के चक्कर, जला हुआ घर, अस्पताल में घायल माता-पिता... और फिर पिता का अधूरा सपना, जो वो खुद पूरा नहीं कर सके.... ये कहानी फिल्मी नहीं, बल्कि सच्ची है...जो रुकना नहीं, हर परिस्थिति से लड़ना सिखाती है. 

जैनेंद्र कुमार निगम की भिंड जिले के छोटे से गांव डोंगरपुरा से निकलकर DSP बनने तक की यह कहानी सिर्फ संघर्ष की नहीं, बल्कि अदम्य साहस, अन्याय के खिलाफ खड़े होने और सपने को आखिरी सांस तक पकड़कर रखने की मिसाल है.

दो बार जेल गए 

जैनेंद्र कुमार के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था, लेकिन अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी मां के हाथ पर लिखी एक कसम ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा दिया. जन्म से ही जैनेंद्र कुमार के घर में पढ़ाई का माहौल था. दादाजी BSF में थे और पिता MPPSC की तैयारी करते हुए लगातार पांच बार मुख्य परीक्षा तक पहुंचे. पिता का सपना DySP बनना था, लेकिन झूठे मामलों और पारिवारिक परिस्थितियों ने उन्हें रुकने पर मजबूर कर दिया. उसी सपने की लौ उनके बेटे जैनेंद्र कुमार निगम भीतर भी जल गई. दरअसल, 2015 में उन्होंने पुलिस आरक्षक भर्ती परिक्षा पास की. फिजिकल देने का इंतजार था... जब इनकी बारी आई तो पिता ने उनसे पूछा कि DySP नहीं बनना क्या? इस सवाल के बाद जैनेंद्र फिजिकल देने नहीं जा पाए.

कई अवसर हाथ से छूटे

हालांकि इसके दो साल बाद 2017 में जैनेंद्र कुमार निगम ने एमपी सब इंस्पेटर भर्ती परीक्षा पास की. फिजिकल से दो दिन पहले गांव के कुछ लड़कों ने बिना किसी कारण उनके साथ लड़ाई की. इस कारण जैनेंद्र फिजिकल देने नहीं जा पाए. 2019 में जैनेंद्र ने शिक्षक भर्ती परीक्षा पास की, लेकिन ज्वॉइन नहीं किया.

जैनेंद्र बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे, लेकिन धीरे-धीरे रास्ते कठिन होते गए... पुलिस आरक्षक, सब-इंस्पेक्टर और शिक्षक बनने का अवसर हाथ में आकर छूटते गए. फिर जीवन ने वो मोड़ दिखाया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी. झूठी FIR, परिवार का बहिष्कार, जमीन पर कब्जा, घर लूट लिया जाना, जेल, जानलेवा हमले, फिर केस और परिवार का एक्सीडेंट…

जैनेंद्र के ऊपर फर्जी FIR

एक समय ऐसा भी आया जब जैनेंद्र का पूरा परिवार अस्पताल और जेल के बीच बिखरा गया. दरअसल, अप्रैल 2020 में जैनेंद्र के माता-पिता के ऊपर जानलेवा हमला हुआ. घर को आग लगा दी गई. इतना ही नहीं परिवार और जैनेंद्र के ऊपर फर्जी एफआईआर दर्ज की गई. एक बार फिर सभी को जेल भेज दिया गया. 8 जनवरी 2021 को जैनेंद्र जेल से छूटकर बाहर आए, लेकिन परिजन जेल में ही बंद थे.

एक सपना, एक मंजिल... DySP

हालांकि जेल के इसी अंधेरे में एक दृढ़ संकल्प जन्म ले चुका था. अब सिर्फ एक ही मंजिल DySP...अपनी बुआ से पैसे लेकर वो जनवरी 2021 को इंदौर पहुंचे. दो महीने की कोचिंग के बाद ही कोरोना के कारण मार्च 2021 में एक बार फिर लॉकडाउन लग गया. इसके बाद उन्होंने इंदौर में ही रहकर पढ़ाई जारी रखी. हालांकि इम्तिहान अबी बाकी था. 22 मई 2021 को पुलिस ने जैनेंद्र के खिलाफ हत्या के प्रयास (धारा 307) के तहत केस दर्ज कर लिया, जबकि वो इंदौर में हॉस्टल में थे. इसकी तस्वीरें सीसीटीवी में भी कैद हो गई थी... 

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परिवार के हालत देख टूट गए थे जैनेंद्र

जून 2021 में दंबगों ने जैनेंद्र के परिवार का एक्सीडेंट करवा दिया. इस हादसे में भाई के पैर और मां की कमर की हड्डी टूट गई. पिता भी गंभीर रूप से घायल हो गए. सभी को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया. जैनेंद्र भी इंदौर से दिल्ली पहुंचे. 

परिजनों की हालत देखकर वो टूट गए, लेकिन अस्पताल के बिस्तर पर लेटे पिता ने उन्हें हिम्मत दी. इसी दिन जैनेंद्र ने अस्पताल में भर्ती अपनी मां की हथेली पर लिखा- 'मैं पूरी मेहनत करूंगा और DySP बनकर ही वापस आऊंगा.' 

हथेली पर लिखी एक कसम ने कैसे पहुंचाया मुकाम तक

इस कसम और वादे के बाद Jainendra Kumar Nigam पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई में जुट गए. बता दें कि जैनेंद्र 2023 Mains परीक्षा के दौरान मलेरिया और टायफाइड के शिकार हो गए... फिर भी ड्रिप लगवाकर पेपर देने पहुंचे. उन्होंने मेंस परीक्षा पास कर इंटरव्यू तक पहुंचे.

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आखिरकार वो घड़ी भी आ गई... जब पिता ने फोन पर सुना- 'आपका बेटा DSP बन गया…' तो वर्षों का संघर्ष एक ही पल में आंसू बनकर आंखों से टपक पड़ा. ये आंसू गम के नहीं, बल्कि खुशी के थे.

जमानत पर बाहर आकर 11 जनवरी 2021 को इंदौर पहुंचना, मुश्किल हालात में भी पढ़ाई जारी रखना, लॉकडाउन में भी नहीं रुकना… कहते हैं कि अगर इरादा सच्चा हो, तो दुनिया की कोई भी ताकत मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती.

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