मध्य प्रदेश स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रतिबंधित प्रवेश का मुद्दा एक बार चर्चाओं में आ गया. वजह सांसद अनिल फिरोजिया द्वारा सामान्य श्रद्धालुओं को प्रवेश देने के लिए अधिकारियों से चर्चा है. सांसद ने सवाल किया कि जब वीआईपी गर्भगृह में प्रवेश कर सकते तो आम भक्त क्यों नहीं. उन्होंने कहा बुजुर्ग उनसे यह सवाल करते है.
इस संबंध में सांसद फिरोजिया ने कहा वर्ष 2023 को श्रावण महीने में आम श्रद्धालुओं के लिए कुछ समय के लिए गर्भगृह बंद किया था, जो अब तक चालू नहीं हो सका. वीआईपी आसानी से गर्भगृह में जल चढ़ाकर पूजा करते हैं, जबकि शहर के बुजुर्ग उनसे सवाल करते हैं कि उन्हें जल चढ़ाने का मौका क्यों नहीं मिलता. वह भी बचपन से मां के साथ जल चढ़ाने जाते थे. अब उन्हें मां भी टोकती है कि यह कैसी व्यवस्था है, जो उनसे भगवान को दूर कर दिया.
यही वजह है कि उन्होंने कलेक्टर से आम भक्तों को तय समय के लिए जल चढ़ाने देने का समय तय करने का कहा है. अधिकारियों ने उन्हें समय तय करने के लिए आश्वासन दिया है. जरूरत पड़ने पर वह सीएम से भी बात करेंगे.
ऐसे हुआ था प्रवेश प्रतिबंध
बता दें कि 4 जुलाई 2023 से श्रावण महीने में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर समिति ने 11 सितंबर 2023 को कुछ समय के लिए आम भक्तों का गर्भगृह में प्रवेश बंद कर दिया था. दावा किया था कि सावन खत्म होते ही गर्भगृह सभी के लिए खोल दिया जाएगा, लेकिन सवा तीन साल बीतने के बाद भी गर्भगृह खुलना तो दूर मंदिर प्रबंध समिति में इस पर विचार तक नहीं किया. जबकि वीआईपी आसानी से प्रवेश करते देखे जा सकते हैं.
अब प्रतिबंध का यह कारण
दरअसल, महाकाल लोक बनने से पहले महाकाल मंदिर में रोजाना 20 से 30 हजार श्रद्धालु पहुंचते थे. अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक बनने के बाद भक्तों की संख्या में चार गुना वृद्धि हो गई. यह संख्या बढ़कर डेढ़ से दो लाख हो गई. गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं के प्रवेश के दौरान एक घंटे में करीब 200 लोग दर्शन कर सकते हैं. दिन में 10 घंटे भी प्रवेश दिया तो दो हजार लोग ही गर्भगृह में प्रवेश कर सकेंगे, जबकि रोज करीब डेढ़ श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में सभी को प्रवेश देना संभव नहीं है.
गर्भगृह में प्रवेश बंद करने का कारण ये भी
मंदिर के शिवलिंग क्षरण को लेकर लगी याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंदिर समिति से क्षरण रोकने के लिए सुझाव मांगे थे. एक सुझाव यह भी था कि गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किया जाए. इसके बाद मंदिर समिति ने दोपहर 12 से 5 बजे तक ही गर्भगृह में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी. वहीं, कई बार जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने जांच कर कलेक्टर और कोर्ट को सौंपी थी. इसके बाद समिति ने तय किया कि गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर किया जाएगा.
पहले और वर्तमान में व्यवस्था
मंदिर के महेश पुजारी के मुताबिक, 4 जुलाई 2023 से पहले 1500 रुपये की रसीद काटकर गर्भगृह में अभिषेक-पूजन करने दिया जाता था. वर्तमान में गणेश मंडपम् और नंदी हॉल से श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जा रहे हैं. श्रद्धालुओं की बाबा को स्पर्श कर अभिषेक की इच्छा मन में ही रह जाती है. गर्भगृह खुलने से भक्तों को बाबा को स्पर्श करने, जल चढ़ाने और पंचामृत अभिषेक पूजन का मौका मिल जाएगा. वहीं, कई भक्त भी गर्भगृह खोलने की मांग करते रहते है.
गर्भगृह में प्रवेश के नियम कब कब टूटे
- 12 मार्च 2023: रंगपंचमी पर विधायक गोलू शुक्ला का पुत्र रुद्राक्ष ने गर्भगृह में पूजा की थी. हालांकि तब आम श्रद्धालुओं के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक नहीं थी. मंदिर समिति ने जांच रिपोर्ट बनाकर समिति अध्यक्ष को भेजी थी.
- 3 से 10 अप्रैल 2023: पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा के दौरान मंदिर प्रबंध समिति ने गर्भगृह में प्रवेश बंद कर दिया था. इस अवधि में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ विधायक रमेश मेंदोला ने गर्भगृह में पूजन किया.
- 7 जून 2024: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव के साथ गर्भगृह से पूजन अर्चन किया.
- 8 जुलाई 2024: भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के संगठन प्रभारी महेंद्र सिंह ने उज्जैन प्रवास के दौरान गर्भगृह में पहुंचकर दर्शन-पूजन किया.
- 28 दिसंबर 2023 को उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने उज्जैन प्रवास के दौरान गर्भगृह में पहुंचकर दर्शन-पूजन किए.
- 28 दिसंबर 2023 को उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने उज्जैन प्रवास के दौरान गर्भगृह में पहुंचकर दर्शन-पूजन किए.














