Naxalites Surrender: 81 लाख रुपये के इनामी समेत 31 खूंखारों ने किया आत्मसमर्पण, नक्सलियों की टूटी कमर

Naxal News: पुलिस के प्रेस नोट के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में सोनू हेमला, किल्लू पुनेम, कोसी कुंजाम, मोटी हेमला, बुधरी कुंजाम, झंगु पोयाम समेत कुल 30 बड़े नाम शामिल हैं. ये सभी बीजापुर, गंगालूर, पामेड़, नैमेड, भैरमगढ़, भोपालपट्टनम आदि इलाकों में वर्षों से सक्रिय थे.

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Naxalites surrender News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में नक्सल हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को एक बार फिर बड़ी सफलता  हाथ लगी है. दरअसल, छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन नीति और सुरक्षाबलों की लगातार अंदरूनी इलाकों में ऑपरेशन से नक्सलियों में खौफ का माहौल है. इसी कड़ी में बुधवार को 31 सक्रिय नक्सलियों ने हिंसा से तौबा करने का ऐलान कर दिया. जिन नक्सलियों ने हथियार डाले हैं, उन नक्सलियों पर 81 लाख रुपये का इनाम घोषित था.

पुलिस के प्रेस नोट के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में सोनू हेमला, किल्लू पुनेम, कोसी कुंजाम, मोटी हेमला, बुधरी कुंजाम, झंगु पोयाम समेत कुल 30 बड़े नाम शामिल हैं. ये सभी बीजापुर, गंगालूर, पामेड़, नैमेड, भैरमगढ़, भोपालपट्टनम आदि इलाकों में वर्षों से सक्रिय थे. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में से कई पर आठ-आठ लाख रुपये तक का इनाम था. इस आत्मसमर्पण करने वालों में डीवीसीएम, कंपनी नंबर-02 के सदस्य, एसीएम, एरिया कमेटी सदस्य, पीएलजीए सदस्य, सीपीआई (माओवादी) की अलग-अलग कैडर से जुड़े नक्सली शामिल हैं. इनमें कई व नक्सली लंबे समय से पुलिस की नक्सल सूची में शामिल थे और  कई बड़ी वारदातों में भी सक्रिय रहे हैं.

इस वर्ष अब तक मुठभेड़ों में मारे जा चुके हैं 132 नक्सली

पुलिस के मुताबिक, वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक 331 नक्सली घटनाओं में शामिल पाए गए, जिनमें से 307 ने आत्मसमर्पण कर दिया. वहीं, 132 नक्सली मुठभेड़ों में मारे गए और बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हुईं. वहीं, वर्ष 2024 में कुल 834 नक्सली घटनाओं में 496 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और 190 नक्सली मुठभेड़ों में मारे गए थे.

विकास से बदल रही है सोच

बीजापुर सहित पूरे बस्तर संभाग में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के समाज की मुख्यधारा में लौटने से यह स्पष्ट हो गया है कि शासन की नक्सल उन्मूलन नीति कारगर सिद्ध हो रही है और नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में यह एक बड़ी सफलता है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने के पीछे प्रमुख कारणों में बस्तर में विकास कार्यों की तेज रफ्तार शामिल है. सड़क निर्माण, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाएं अब अंदरूनी इलाकों तक पहुंचने लगी हैं. इसके अलावा संगठन के भीतर बढ़ते मतभेद, अविश्वास, मानसिक और आर्थिक शोषण ने भी नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया.

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बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने कहा कि सरकार की पुनर्वास नीति और सुरक्षा बलों की सतत कार्रवाई से लगातार नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं. उन्होंने नक्सलियों से अपील की कि वे हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटें और सम्मानजनक जीवन जिएं. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास और पुनर्जीवन नीति व नियमित “नवजीवन योजना” ने आत्मसमर्पण के लिए नक्सलियों को प्रेरित किया. इस योजना के तहत आत्मसमर्पण करने वालों को प्रोत्साहन राशि, पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक पुनर्संस्करण की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक नक्सली को 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई.

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