विश्व पुस्तक मेले में तसनीम खान के उपन्यास 'हमनवाई न थी' का विमोचन

तसनीम खान का पहला उपन्यास 'ए मेरे रहनुमा' 2016 में भारतीय ज्ञानपीठ से आ चुका है. इसका अंग्रेजी अनुवाद भी भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुका है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

दिल्ली में चल रहे 'विश्व पुस्तक मेले' में युवा लेखक तसनीम खान के दूसरे उपन्यास 'हमनवाई न थी' का विमोचन हुआ. सेतु प्रकाशन की ओर से प्रकाशित इस उपन्यास का विमोचन प्रख्यात साहित्यकार नासिरा शर्मा ने किया. इस मौके पर नासिरा शर्मा ने कहा तसनीम खान नई पीढ़ी के कथाकारों में जरूरी नाम है. इनकी कहानियों में समय का प्रतिरोध दर्ज हो रहा है. अच्छी बात यह है कि यह साझी विरासत को लेकर भी चल रही हैं. ये कहानियां निश्चित तौर पर लम्बे समय तक याद की जाएंगी. 

लेखक सत्यनारायण ने कहा कि तसनीम का यह उपन्यास इश़्क के अफसानों से अलहदा है. यह इस समय के देश, काल की स्थितियों को सामने रखता है, जहां मुहब्बत एक प्रतिरोध की तरह सामने आती है. तसनीम खान के उपन्यास और कहानियां एक अलग दुनिया से रूबरू करवाते हैं. वे इस्मत चुगताई, कुर्तुलएन हैदर, नासिरा शर्मा की कड़ी को आगे बढ़ाती हैं. 

वहीं, तसनीम खान ने कहा कि इस उपन्यास को लिखने में उन्हें पांच साल का समय लगा. यह शिवेन और सनम के इश्क के बीच अपने-अपने अस्तित्व को पहले चुनने की कहानी है. दोनों के अपने-अपने संघर्ष हैं, संघर्ष और इश्क के बीच क्या चुनना है, इसे लेकर दोनों बिलकुल साफ नज़रिया रखते हैं.

इससे पहले उनका पहला उपन्यास 'ए मेरे रहनुमा' 2016 में भारतीय ज्ञानपीठ से आ चुका है. इसका अंग्रेजी अनुवाद भी भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुका है. वहीं कलमकार मंच से उनका एक कहानी संग्रह आ चुका है. यह उनकी तीसरी किताब है. तसनीम खान की एक कहानी 'मेरे हिस्से की चांदनी' का अंग्रेजी अनुवाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से प्रकाशित हो चुका है. 

Featured Video Of The Day
Bihar Election 2025 में BJP का RJD पर 'गाना वॉर', तो वहीं Lalu Yadav के चारा घोटाले पर कसा तंज
Topics mentioned in this article