World Photography Day 2023: कहते हैं एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है. तस्वीरों के इसी महत्व को उजागर करने के लिए हर साल 19 अगस्त के दिन विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है. विश्व फोटोग्राफी दिवस का विशेष एतिहासिक महत्व है क्योंकि तस्वीरों के माध्यम से ही इतिहास के पन्नो में झांका जा सकता है. आज हमारे पास ऐसी कई तस्वीरें हैं जो सौ साल से भी पहले खींची गई थीं. विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाने की शुरूआत 1837 में फ्रांस से हुई थी. यह वह साल था जिसे फोटो खींचने की शुरूआत माना जाता है.
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इस विश्व फोटोग्राफी दिवस पर मिलिए ऐसे ही एक फोटोग्राफर से जिन्होंने पिछले साल स्नो लेपर्ड (Snow Leopard) की रेयर फोटो खींची थी. यह फोटोग्राफर हैं दिल्ली के योगेश भाटिया. योगेश एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं जिन्होंने कोविड के समय से ऑफिशियली फोटो खींचने की शुरूआत की. 65 के पार हो चुके योगेश इस उम्र की चुनौतियों से लड़ते हुए भी नए मुकाम हासिल कर रहे हैं.
योगेश भाटिया ने निडर होकर विविध परिदृश्यों में प्रवेश कर भारत और अफ्रीका में राजसी बड़ी बिल्लियों जैसे लेपर्ड की तस्वीरें खींची हैं. स्पीति घाटी में 14,000 फीट की ऊंचाई पर, 65 वर्षीय होने के बाद भी, ठंडे तापमान को सहन करने का उनका दृढ़ संकल्प उनके लचीलेपन और अटूट समर्पण को दर्शाता है.
योगेश के पोर्टफोलियो में सबसे आश्चर्यजनक उपलब्धियों में से एक इस चौंका देने वाली ऊंचाई पर मायावी स्नो लेपर्ड की तस्वीर लेने का उनका सफल प्रयास है, जो विश्व फोटोग्राफी दिवस के लिए एक उल्लेखनीय ट्रिब्यूट के समान है. भीषण ठंड के बीच, उन्होंने न केवल एक फोटोग्राफर (Photographer) के रूप में अपनी तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि जानवरों के व्यवहार और निवास स्थान के बारे में अपनी गहरी समझ भी प्रदर्शित की. स्नो लेपर्ड की फोटो लेना, जो अपने परिवेश में सहजता से घुल मिल जाता है और दिखाई नहीं पड़ता, भाटिया के धैर्य, कौशल और उनकी कला के प्रति अडिग प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
विश्व फोटोग्राफी दिवस पर योगेश भाटिया के जज्बे की सराहना की जा सकती है जिन्होंने 14,000 फीट ऊंचाई पर स्नो लेपर्ड की यह रेयर तस्वीर खींची और अपनी कला का अद्भुत नमूना प्रस्तुत किया. यह तस्वीर अन्य फोटोग्राफर्स के लिए एक अच्छा उदाहरण भी है और प्रेरणा का स्त्रोत भी.