World Heritage Day 2025: विश्व धरोहर दिवस दुनियाभर की एतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों को समर्पित है. यह दिन हर साल 18 अप्रैल के दिन मनाया जाता है. इस दिन को विश्व धरोहर दिवस के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल दिवस जैसे नामों से भी पुकारा जाता है. विश्वभर में ऐसी कई धरोहरें हैं जो आज की पीढ़ी और इससे पिछली और उससे भी पिछली पीढ़ी के जन्म से पहले से मौजूद हैं. इन धरोहरों की रक्षा करने के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें संझोकर रखने के लिए विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है. ताजमहल, कुतुब मीनार, हम्पी, द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, एक्रोपॉलिस ऑफ एथेंस और द पिरामिड ऑफ गिजा विश्व धरोहर (World Heritage Sites) हैं. ये धरोहरें अतीत की पहचान ही नहीं हैं बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक शिक्षा का आधार भी बन गई हैं. बहुत से देशों की अर्थव्यवस्था संभालने में भी इन धरोहरों की विशेष भूमिका है. जानिए विश्व धरोहर दिवस मनाने के इतिहास और इस साल की थीम के बारे में.
विश्व धरोहर दिवस मनाने का इतिहास | World Heritage Day History
विश्व धरोहर दिवस का उद्भव साल 1982 तक जाता है जब इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मोन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) ने धरोहरों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए एक खास दिन तय करने का विचार सामने रखा था. अगले साल ही UNESCO ने 22वीं जनरल कॉन्फ्रेंस में इस प्रस्ताव को पारित कर दिया. तभी से हर साल इस दिन को मनाया जाने लगा.
हर साल इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मोन्यूमेंट्स एंड साइट्स विश्व धरोहर दिवस के लिए एक थीम चुनती है. इस साल 2025 में विश्व धरोहर दिवस की थीम आपदा और संघर्ष प्रतिरोधी विरासत (Heritage under Threat from Disasters and Conflicts) है. इस थीम का मतलब है प्राकृतिक आपदाओं से इन धरोहरों को बचाने की तरफ कदम उठाना, तैयारी करना और इनसे सीख लेना.
संग्रहालयों की दीवारों पर,
इतिहास बोलता है,
हर पत्थर, हर इमारत में
कोई किस्सा डोलता है.
हर ईंट में बसी है एक दास्तान,
हर गुम्बद में गूंजता है हिंदुस्तान
संस्कृति की छाया हैं ये धरोहरें,
आओ इन्हें बचाएं हम सब मिलकर.
जो बचा रहे, वो धरोहर है,
जो सहेजा जाए, वो विरासत है,
संभालो इसे प्यार से तुम,
यही हमारी संस्कृति और अतीत है.
ताज की सफेदी हो या चीन की दीवार,
इनमें छिपा है हमारा पुराना संसार,
जो देखें इन्हें, वो समझें हमारी बात,
धरोहर हैं ये, ना हो इनसे कोई घात.
वक्त की गर्द में खो न जाएं ये निशान,
संभालिए धरोहरें, ये हैं हमारी जान
इन्हें बचाना है हमारा फर्ज
क्योंकि यही है हमारी पहचा.
विरासत को सहेजकर,
जीतेंगे हम निराशाओं को पीछे धकेलकर.
पत्थर चीख-चीख कर गवाही देते हैं,
हमारी विरासत हमारी समृद्धि का सच्चा आधार हैं.
पीढ़ियों का इतिहास है,
हमारी विरासत ही हमारा विश्वास है.