World Down Syndrome Day Date: हर साल 21 मार्च के दिन को दुनियाभर में डाउन सिंड्रोम डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य जेनेटिक कंडीशन को लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना और इससे प्रभावित बच्चों की बेहतर परवरिश करना है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर डाउन सिंड्रोम है क्या (What is Down Syndrome) और ये क्यों होता है. साथ ही जानेंगे डाउन सिंड्रोम होने पर आप अपने बच्चे की परवरिश कैसे बेहतर ढंग से कर सकते हैं.
क्या होता है डाउन सिंड्रोम? (What is Down Syndrome in Baby?)
डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक कंडीशन है, जिसमें किसी बच्चे की बॉडी में एक एक्स्ट्रा क्रोमोसोम हो जाता है. आसान भाषा में समझें तो हर इंसान के शरीर में 46 क्रोमोसोम (23 जोड़े) होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में जब गर्भ में बच्चे का विकास हो रहा होता है. तब किसी कारण से 21 नंबर के क्रोमोसोम की एक एक्स्ट्रा कॉपी बन जाती है. इससे टोटल 47 क्रोमोसोम हो जाते हैं. ऐसा होने पर बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है.
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- बॉडी पर असर - छोटा सिर, चपटी नाक, बादाम के शेप की आंखें, छोटे हाथ-पैर, टेढ़ी उंगलियां.
- मानसिक स्तर पर प्रभाव - देर से चीजें सीखना, चीजों पर फोकस नहीं कर पाना, देर से बोलना या चलना सीखना.
- सेहत पर असर - कम उम्र में ही हार्ट डिसीज, थायरॉयड, सुनने और देखने में परेशानी होना.
जल्दी थेरेपी और पढ़ाई शुरू करवाएं
डाउन सिंड्रोम होने पर बच्चों को कुछ भी सीखने में ज्यादा टाइम लगता है. ऐसे में उनकी देखभाल और पढ़ाई जितनी जल्दी शुरू की जाए उतना ही बेहतर है. इसके लिए आप अपने बच्चे को जल्दी थेरेपी दिला सकते हैं या उनकी पढ़ाई को भी जल्दी शुरू कर सकते हैं.
डाउन सिंड्रोम बेबी को बोलने में ज्यादा समय लगता है. ऐसे में आप उन्हें बचपन से ही स्पीच थेरेपी दिला सकते हैं. इससे उनके बोलने की क्षमता में सुधार होगा.
प्यार और केयर बहुत जरूरी है. अपने बच्चे को गले लगाएं. उनसे बातें करें. उनके साथ ज्यादा समय बिताएं और उनकी छोटी-छोटी जीत को सेलिब्रेट करें. इससे वो आपको और आपकी बातों को बेहतर तरीके से समझेंगे. साथ ही आप उन्हें बेहतर ढंग से चीजें सीखाने का कोशिश करें.
डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में मोटापे, थायरॉयड और हार्ट डिजीज का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में उनकी डाइट पर खास ध्यान दें. जितना हो सके उनकी डाइट में हरी सब्जियों, फल, प्रोटीन और कम फैट वाले फूड शामिल करें. इससे अलग उन्हें रोज हल्की एक्सरसाइज और योग भी जरूर करवाएं.
सोशल स्किल्स सिखाएं (Social Skills)अपने बच्चे को दूसरों से बातचीत करने की आदत डालें. उन्हें स्कूल भेजें, ताकि वे बाकी बच्चों के साथ घुल-मिल सकें.
मेडिकल चेकअप करवाते रहें (Routine Checkup)इन सबसे अलग डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को समय-समय पर डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है, ताकि कोई हेल्थ इशू बढ़ने से पहले ही उनका इलाज किया जा सके.
बता दें कि डाउन सिंड्रोम कोई बीमारी नहीं है, ये एक जेनेटिक कंडीशन है. सही देखभाल, थेरेपी और प्यार से बच्चा चीजों को बेहतर सीख सकता है. ऐसे में अगर आपका बच्चा डाउन सिंड्रोम से प्रभावित है, तो घबराने के बजाय समझदारी से उसकी परवरिश करें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.