World AIDS Vaccine Day 2023: एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 18 मई के दिन विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है. भारत में वर्तमान में तकरीबन 23 लाख बच्चे और वयस्क HIV-AIDS से पीड़ित हैं. AIDS एक लाइलाज बीमारी है जो HIV वायरस यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस के कारण होती है. HIV शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है जिससे एक के बाद एक रोग लगते जाते हैं और जान भी जा सकती है. इस चलते विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है और कोशिश की जाती है कि एड्स के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों को सचेत किया जा सके, जागरूक किया जा सके और इस बीमारी से बचाव और सावधानियों से परिचित करावाया जा सके.
अगर आपका बच्चा भी घुटने मोड़कर बैठता है, तो डॉक्टर से जानिए क्या हो सकते हैं नुकसान
कैसे हुई विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाने की शुरूआत
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाने की प्रेरणा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (Bill Clinton) के 18 मई, 1997 में दिए गए भाषण से मिली थी. उन्होंने कहा था कि सचमुच असरदार और बचाव करने वाली HIV वैक्सीन ही एड्स के खतरे को सीमित और खत्म कर सकती है. यह भाषण पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने मोर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में दिया था और वैज्ञानिकों से गुहार लगाई थी कि वे अगले दशक तक तकनीक और विज्ञान की मदद से एड्स वैक्सीन बना लें. इसके अगले साल यानी 18 मई, 1998 से विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाने लगा.
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस का मकसद इस घातक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना है. साथ ही, एड्स और HIV वैक्सीन के क्षेत्र में काम कर रहे स्वयंसेवकों, स्वास्थ क्षेत्र में काम करे लोगों, समुदाय के सदस्यों और वैज्ञानिकों को धन्यवाद देना भी है जो इस बीमारी को खत्म करने के क्षेत्र में कार्यरत हैं. इस दिन को मनाने के पीछे अलग-अलग समुदायों को साथ लाकर वैश्विक परिपाटी पर एड्स या एचआईवी वैक्सीन रिसर्च को बढ़ावा देना और इस बीमारी को रोकने पर जोर देना है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.