Stiffness in Winter: सर्दियों के मौसम में सेहत का बहुत ही ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि सर्दियों की सुबह कई लोगों के लिए शरीर की अकड़न और जकड़न के साथ शुरू होती है. बिस्तर से उठते ही घुटनों, कमर, गर्दन या कंधों में खिंचाव महसूस होना आम समस्या है, लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है. एशियन हॉस्पिटल, ऑर्थोपेडिक और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी यूनिट - I, डॉ. दीपक कुमार मिश्रा ने बताया कि ठंड के मौसम में ब्लड सर्कुलेशन धीमा होना और मसल्स का लंबे समय तक निष्क्रिय यानी एक्टिव नहीं रहना इसकी मुख्य वजह है.
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किन लोगों में समस्या ज्यादा होती है?
- बुजुर्ग
- आर्थराइटिस या ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीज
- लंबे समय तक बैठकर काम करने वाले लोग
- फिजिकल एक्टिविटी कम करने वाले लोग
- ठंड में पर्याप्त गर्म कपड़े न पहनने वाले
ब्लड सर्कुलेशन धीमा क्यों हो जाता है?
डॉ. दीपक कुमार मिश्रा के मुताबिक, ठंड के मौसम में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए रक्त नलिकाओं यानी ब्लड वेसल्स को संकुचित कर देता है. इससे हाथ-पैरों और जोड़ों तक ब्लड फ्लो कम हो जाता है. रात में लंबे समय तक एक ही स्थिति में सोने के कारण मसल्स और जॉइंट्स में जकड़न और बढ़ जाती है. ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट डॉ. दीपक कुमार मिश्रा बताते हैं, “सर्दियों में शरीर का तापमान गिरने से ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है. सुबह उठते समय मसल्स पूरी तरह एक्टिव नहीं होती, इसलिए शरीर अकड़ा-अकड़ा महसूस होता है.” इसका असर खासतौर पर उन लोगों में ज्यादा देखा जाता है जो पहले से ही कमर दर्द, सर्वाइकल या घुटनों की समस्या से जूझ रहे होते हैं.
मसल्स और जॉइंट्स पर ठंड का असरठंड में मसल्स और लिगामेंट्स की लचीलापन यानी फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाती है. जब शरीर लंबे समय तक आराम की स्थिति में रहता है, तो ये और सख्त हो जाती हैं. जैसे ही सुबह अचानक मूवमेंट होता है, दर्द और खिंचाव महसूस होने लगता है. सुबह की अकड़न अगर कुछ मिनटों में ठीक हो जाए तो यह सामान्य हो सकती है, लेकिन अगर यह एक घंटे से ज्यादा रहे तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
- उठने से पहले शरीर को हल्का गर्म रखें
- गुनगुने पानी से स्नान करें
- नियमित योग और वॉक को दिनचर्या में शामिल करें
- पर्याप्त पानी पिएं
- ठंड में भी एक्टिव रहने की कोशिश करें
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.