Wabi-Sabi क्या है? जानें सोशल मीडिया पर क्यों वायरल हो रहा है ये जापानी ट्रेंड

What is the meaning of Wabi-Sabi: आइए जानते हैं वाबी-साबी का मतलब क्या होता है और क्यों ये ट्रेंड इतना चर्चा में बना हुआ है.

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वाबी-साबी का असली मतलब क्या है?

What is the meaning of Wabi-Sabi: सोशल मीडिया की दुनिया में आए दिन नए-नए ट्रेंड वायरल होते रहते हैं. इन दिनों एक ऐसा ही नया ट्रेंड जबरदस्त सुर्खियों में बना हुआ है. इसका नाम है 'वाबी-साबी'. आपने भी इसके बारे में जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप वाबी-साबी का मतलब जानते हैं? अगर नहीं, तो यहां हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं. आइए जानते हैं वाबी-साबी का मतलब क्या होता है और क्यों ये ट्रेंड इतना चर्चा में बना हुआ है.

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वाबी-साबी का असली मतलब क्या है?

वाबी-साबी दरअसल एक जापानी शब्द है, जिसका मतलब होता है अपूर्णता में सुंदरता देखना. यानी इम्परफेक्शन में भी खूबसूरती देखना. पुराने जमाने में यह सोच घरों की सजावट और कला से जुड़ी थी, लेकिन आज सोशल मीडिया पर इसे इंसानों से जोड़कर देखा जा रहा है. 

आजलकर सोशल मीडिया पर लोग हर चीज को परफेक्ट दिखाने की कोशिश में रहते हैं. परफेक्ट दिखने के लिए एडिटेड फोटो लगाते हैं, परफेक्ट बॉडी, परफेक्ट लाइफ और परफेक्ट रिलेशनशिप दिखाते हैं. जबकी उनकी असल जिंदगी ऐसी नहीं होती है. इसी कड़ी में वाबी-साबी ट्रेंड में बना हुआ है. Wabi Sabi ट्रेंड लोगों को बिना फिल्टर और बिना दिखावे के अपनी असली जिंदगी दिखाने का मौका देता है. इस ट्रेंड में लोग हंसते हुए, रोते हुए, बिखरे हुए घर के साथ, दोस्तों के साथ बातें करते हुए, टूटे रिश्तों की यादें और सच्ची भावनाएं शेयर कर रहे हैं. यही वजह है कि लोग इससे खुद को जोड़ पा रहे हैं.

यानी ये ट्रेंड लोगों को सिखा रहा है कि इंसान की कीमत उसकी परफेक्शन से नहीं, बल्कि उसकी सच्चाई से होती है. दोस्ती में लड़ाइयां हो सकती हैं, प्यार में मुश्किलें आ सकती हैं और जिंदगी में सब कुछ प्लान के हिसाब से नहीं चलता फिर भी सब कुछ मायने रखता है. Wabi Sabi यह एहसास दिलाता है कि धीरे-धीरे हील होना भी ठीक है और कई बार इम्परफेक्ट होना भी पूरी तरह एक्सेप्टेबल है.

Gen Z को क्यों पसंद आ रहा है ये ट्रेंड?

आज के समय में युवा भी एंग्जाइटी, अकेलेपन और कंपैरिजन का सामना कर रहे हैं. ऐसे में यह ट्रेंड उन्हें सुकून देता है. इस ट्रेंड के जरिए लोग एक-दूसरे को बता पा रहे हैं कि हर समय सब कुछ ठीक होना जरूरी नहीं है. हर समय परफेक्ट दिखना जरूरी नहीं, रोना भी ठीक है, कमजोर होना भी ठीक है और साधारण पल भी खास होते हैं.
 

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