Tunisha Sharma और इन्फ्लुएंसर लीना नागवंशी के सुसाइड से फैंस दुखी, एक्सपर्ट ने कहा ऐसे पहचानें किसी के Suicidal Thoughts 

Suicidal Thoughts: आयदिन सुसाइड की खबरें हैरान करने वाली हैं. यहां जानिए सुसाइडल थोट्स पहचानने को लेकर एक्सपर्ट्स की क्या राय है. 

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How To identify Suicidal Thoughts: एक्सपर्ट्स से जानिए कैसे पहचानें किसी की खुदकुशी की इच्छा को. 

Suicide: बीते दिनों टीवी एक्ट्रेस तुनीषा शर्मा के सुसाइड करने की खबर सामने आई. अभी लोग इसी सकते में थे कि इतनी कम उम्र में तुनीषा (Tunisha Sharma) के सुसाइड करने की क्या वजह रही होगी कि कुछ ही समय बाद 22 वर्षीया सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर लीना नागवंशी (Leena Nagwanshi) के सुसाइड की खबर भी सुर्खियां बन गईं. मोबाइल या टीवी स्क्रीन के इस तरफ बैठे लोग स्क्रीन के उस तरफ क्या चल रहा है नहीं समझ पाते, लेकिन माता-पिता और दोस्तों के लिए यह घड़ी और भी मुश्किल हो जाती है जब उन्हें एहसास होता है कि वे भी अपने करीबी के सुसाइडल थोट्स (Suicidal Thoughts) नहीं पहचान पाए. इसी पर एनडीटीवी ने बात की फॉर्टिस नैशनल मेंट्ल हेल्थ प्रोग्राम, फॉर्टिस हेल्थकेयर के डायरेक्टर डॉ. समीर पारीख से. साथ ही, डॉ. भावना पारीख ने टीनेज डिप्रेशन पर माता-पिता को सलाह दी. दोनों एक्सपर्ट्स ने बताया कि सुसाइडल थोट्स को वक्त रहते कैसे पहचाना जा सकता है. 

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सुसाइड का कारण डिप्रेशन भी हो सकता है और इसी पर डॉ. समीर का कहना है कि यह समझना बेहद जरूरी है कि डिप्रेशन (Depression) एक मेडिकल बीमारी है. आमतौर पर उदासी, चिड़चिड़ाहट, जो चीजें पहले करनी पसंद थीं अब व्यक्ति उनसे दूर रहता हो, ध्यानकेंद्रित करने में दिक्कत आ रही हो, पढ़ाई या दोस्तों से दूरी बन रही हो, स्कूल या कॉलेज में पर्फोर्मेंस पर असर पड़ रहा हो, हंसता ना हो, खुश ना दिखे, खाने की इच्छा ना करे, अपने आप में रहने लगे जैसे लक्षण व्यक्ति में देखे जा सकते हैं. अगर लगातार यह स्थिति 2 हफ्तों तक बनी रहे तो हो सकता है यह डिप्रेशन हो. किसी और मानसिक समस्या का अंदेशा भी हो सकता है इसीलिए ऐसे में एक्सपर्ट से बात करना जरूरी है. 

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डॉ. भावना बताती हैं कि अगर आपका बच्चा किशोरावस्था में हैं तो उसके डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं. इन कारणों में बुलिंग, तनाव, सोशल मीडिया (Social Media) या मोबाइल एडिक्शन और किसी तरह की हिंसा हो सकता है. ऐसे में माता-पिता को कोशिश करनी चाहिए कि वे बच्चों को सुनने की कोशिश करें बजाय सुनाने की, उनकी भावनाओं को समझें, सकारात्मक माहौल दें और एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

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किसी डिप्रेस्ड व्यक्ति की मदद करने को लेकर डॉ. समीर का कहना कि बेसिक तरीका तो यही है कि आप डिप्रेस्ड व्यक्ति की निंदा ना करें, पुश ना करें, यह ना कहें कि उनकी गलती है जो वे डिप्रेशन का शिकार हुए हैं. इसमें दवा और काउंसलिंग लेने पर मदद मिल सकती है. अपनी अप्रोच और घर का माहौल अच्छा रखें, उन्हें ब्रेक दें, चीजों में शामिल भी करें लेकिन पुश ना करें. 

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सुसाइडल थोट्स पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लोग इस तरह के संकेत देने लगते हैं या बातें करते हैं कि वे जीना नहीं चाहते, उन्हें दुनिया जीने लायक नहीं लग रही, उन्हें भविष्य नाउम्मीद लगने लगा है आदि. ऐसे व्यक्ति को अकेला ना छोड़े, एक्सपर्ट के पास लेकर जाएं और सकारात्मक चीजों को समझाने की कोशिश की जा सकती है. 

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Disclaimer: यह लेख एक्सपर्ट से की गई बातचीत पर आधारित है.

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