Parenting Tips: माता-पिता अगर बच्चे को कोई बात समझाना चाहते हैं तो उनके पास इस काम को करने के बहुत तरीके है. बच्चा कोई गलती करता है तो उसे डांटना या थोड़ा बहुत मार देना बच्चे को तकलीफ पहुंचाता है और इसीलिए पैरेंट्स ऐसा नहीं करते. इसके बजाय वे उसे साइलेंट ट्रीटमेंट (Silent Treatment) देने लगते हैं. साइलेंट ट्रीटमेंट देने का मतलब है बच्चे से बात करना छोड़ देना. पैरेंट्स बच्चे से बात नहीं करते और बच्चा आगे-पीछे घूमने लगता है, कभी डरकर कोने में खड़ा हो जाता है या फिर मम्मी-पापा को मनाने की कोशिश करता है. लेकिन, यह साइलेंट ट्रीटमेंट डांट खाने से ज्यादा बुरा साबित हो सकता है. इसका बच्चे पर साइकोलॉजिकल प्रभाव पड़ता है. इसी बारे में बता रहे हैं बच्चों के डॉक्टर रवि मलिक. डॉ. रवि मलिक सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन हैं. आइए डॉक्टर से ही जानते हैं साइलेंट ट्रीटमेंट का बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता है.
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साइलेंट ट्रीटमेंट का बच्चों पर प्रभाव | Effects Of Silent Treatment On Children
डॉक्टर का कहना है कि बच्चे को कभी भी साइलेंट ट्रीटमेंट नहीं देना चाहिए. इसके बजाय उसे थोड़ा डांट-डपट दें, मार दें या कोल्ड ट्रीटमेंट दे दें लेकिन साइलेंट ट्रीटमेंट ना दें. साइलेंट ट्रीटमेंट बच्चे को साइकोलॉजिकली यानी मानसिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित करता है.
अगर आप बच्चे से बात नहीं कर रहे हैं और बच्चे को नॉन-वर्बल कम्यूनिकेशन में भी गुस्से से देख रहे हैं, बच्चे को रिस्पोंड नहीं कर रहे या चिड़चिड़े तरीके से उसे रिस्पोंस दे रहे हैं तो ये चीजें भी बच्चे पर बहुत ज्यादा साइकोलॉजिकल और इमोशनल प्रभाव (Emotional Effects) डालती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि माता-पिता बच्चे के लिए उसके भगवान होते हैं. जब बच्चों को लगता है कि पैरेंट्स उससे नाराज हैं तो उसका सारा कोंफिडेंस मर जाता है और सेल्फ एस्टीम गिरने लगती है.
माता-पिता बच्चे को इस तर्ज पर साइलेंट ट्रीटमेंट देते हैं कि उन्हें बिना चिल्लाए या बच्चे को पीटे बिना उसे सबक सिखाना होता है. जब बच्चे पैरेंट्स की बात नहीं सुनते हैं, उनसे बहस करते हैं, किसी परेशानी पर बच्चे को कंफ्रंट करना चाहते हैं या फिर बाउंडरीज मेंटेन करने के लिए भी बच्चे को पैरेंट्स साइलेंट ट्रीटमेंट देने लगते हैं. इस साइलेंट ट्रीटमेंट को पाकर बच्चे भी पैरेंट्स को साइलेंट ट्रीटमेंट देना सीख लेते हैं और अपने मन की बातें मन में ही रखना शुरू कर देते हैं. यह बच्चे की ग्रोथ पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.
- साइलेंट ट्रीटमेंट बच्चो को साइकोलॉजिकली और इमोशनली प्रभावित करता है. ऐसे में बच्चे से बात करके उसे समझाने की कोशिश करें.
- अगर आप बच्चे से गुस्सा हैं तो उन्हें बताएं कि आपको उनपर गुस्सा आ रहा है और बच्चे को इस तरह की गलतियां नहीं करनी चाहिए, इससे दूसरे लोग प्रभावित होते हैं.
- बच्चे को समझाने की कोशिश करें और उसे उसकी गलतियों से सीखने के लिए कहें.