बिना प्रेस वाले कपड़े पहनकर ऑफिस जाएंगे CSIR के कर्मचारी, वजह जानकर आप भी कहेंगे शाबाश

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने हफ्ते में एक बार कर्मचारियों को बिना प्रेस वाले कपड़े पहनकर आने के लिए कहा है. जानिए क्या है इसकी वजह.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
इस पहल के पीछे पर्यावरण से जुड़े कारण निहित हैं.

Climate Change: हम सभी ऑफिस जाते हैं तो एक रात पहले ही कपड़े प्रेस करके रख लेते हैं. वहीं, बच्चों को स्कूल जाने या आम दिनों में बाहर निकलने से पहले भी कपड़े प्रेस करके जाना अच्छा लगता है. वजह साफ है कि बिना प्रेस किए कपड़े मुड़े-तुड़े से लगते हैं जबकि प्रेस किए कपड़े अच्छे दिखते हैं. लेकिन, हाल ही में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने अपने स्टाफ को कॉर्पोरेट ऑफिस में हर सोमवार बिना प्रेस किए कपड़े पहनकर आने के लिए कहा है. 

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने हफ्ते में एक बार कर्मचारियों को बिना प्रेस वाले कपड़े पहनकर आने के लिए कहने के पीछे पर्यावरण से जुड़े कारण निहित हैं. इस पहल को 'रिंकल्स अच्छे हैं' (Wrinkles Achhe Hain) कहा जा रहा है और यह जलवायु परिवर्तन को कम करने की एक लड़ाई है. 

गर्मी से बेहोश होते व्यक्ति को तुरंत ना पिलाएं पानी, जानिए लू से बचने के लिए क्या हैं स्वास्थ्य मंत्रालय के सुझाव 

असल में कपड़े प्रेस करते हुए ऊर्जा की क्षति होती है. बिजली बचाने के लिए और इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हफ्ते के एक दिन CSIR ने अपने कर्मचारियों से कपड़े प्रेस ना करने के लिए कहा है. इस पहल का मकसद लोगों को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रति जागरूक करना और इस कोशिश में आगे आने के लिए प्रेरित करना है.

बिना खाए भी बढ़ रहा है वजन तो कहीं गलत बर्तन में तो नहीं पका रहे खाना, इस रिसर्च में आया पतले होने का डाइट मंत्रा

आप अपने स्तर पर भी जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए बिजली की खपत कम करने की कोशिश कर सकते हैं. जिन कपड़ों को प्रेस करने की जरूरत नहीं है उन्हें ऐसे ही पहना जा सकता है. इसके अलावा, अगर कमरे में कोई नहीं है तो पंखा और लाइट बंद कर देना, ऊर्जा बचाने वाले बल्ब लगाना और जब जरूरत ना हो AC को बंद करने जैसे छोटे-मोटे काम कर सकते हैं. 

Advertisement

जलवायु परिवर्तन कम हो और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल सके इसके लिए प्रदूषण को कम करने की कोशिशें भी जरूरी हैं. वायू प्रदूषण और जल प्रदूषण कम करने की कोशिशें भी जरूरी हैं. वहीं, अपने स्तर पर पानी बर्बाद करने से जितना ज्यादा बचा जा सके उतना जरूरी है. पानी की बर्बादी जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाली साबित होती है.

Akshaya Tritiya 2024: कब है अक्षय तृतीया | जानिए क्या है पौराणिक मान्यता
Featured Video Of The Day
NDTV Lead Story: Delhi में आज AQI@500: स्कूल हुए ऑनलाइन, WFH पर सरकार लेगी फैसला | Delhi Pollution
Topics mentioned in this article