Baba Ramdev के बताए इस योगासन से दूर हो सकती हैं शरीर की कई दिक्कतें, जानिए कैसे करें यह आसन 

Ramdev Yoga: योग गुरू बाबा रामदेव जिस आसन को करने की सलाह अक्सर देते हैं उससे सेहत को कई फायदे मिलते हैं. जानिए कौनसा है यह आसन और इसे कैसे किया जा सकता है. 

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Yogasana: इस आसन को करने की सलाह देते हैं बाबा रामदेव. 

Yoga: योगा शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी कई फायदे देती है. योगा करने पर शरीर तो स्वस्थ रहता ही है साथ ही मन भी शांत रहने लगता है. योग गुरू स्वामी रामदेव का भी यही मानना है. बाबा रामदेव (Baba Ramdev) योगा के लिए घर-घर में जाने जाते रहे हैं. जिस आसन को करने की बाबा रामदेव अक्सर सलाह देते हैं वो है सूर्य नमस्कार. खुद बाबा रामदेव का यह कहना है कि, "सूर्य नमस्कार से सम्पूर्ण शरीर को आरोग्य, शक्ति एवं ऊर्जा की प्राप्ति होती है, इससे शरीर के सभी अंग-प्रत्यंगों में क्रियाशीलता आती है." वे यह भी कहते हैं कि सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) अपनी क्षमता के अनुसार दिन में 11 से 21 बार किया जा सकता है.

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सूर्य नमस्कार करने के फायदे | Benefits Of Surya Namaskar

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Photo Credit: iStock

  • वजन घटाने में मददगार होता है. 
  • पाचन दुरुस्त होने में मदद मिलती है. 
  • अनियमित पीरियड्स की समस्या ठीक होती है. 
  • मसल्स को मजबूती मिलती है. 
  • जोड़ों के दर्द (Joint Pain) में आराम मिलता है. 
  • शरीर के आंतरिक अंगों को फायदा मिलता है. 
  • कंधों का दर्द ठीक होता है. 
  • नींद ना आने की दिक्कत से छुटकारा मिलता है. 
  • रीढ़ की हड्डी खिंचती है. 
  • कमर की लचकता बढ़ती है. 
  • स्ट्रेस कम होता है. 
  • पेट की दिक्कतों से छुटकारा मिलता है. 
  • ब्लड शुगर लेवल कम होने में मदद मिलती है. 
  • कब्ज की दिक्कत से निजात मिलती है. 
कैसे करें सूर्य नमस्कार 


सूर्य नमस्कार के में 8 आसन होते हैं जिन्हें एक के बाद एक 12 स्टेप्स में किया जाता है. जब भी सूर्य नमस्कार शुरू करते हैं तो उसे सीधी तरफ से किया जाना चाहिए. सबसे पहला आसन है प्रणामासन, इसके बाद हस्तउत्तनासन, पादहस्तासन, अश्व संचालनासन, दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, अधोमुख शवासन किया जाता है. 

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  1. सबसे पहले हाथों को जोड़कर आराम की मुद्रा में खड़ा हुआ जाता है. इसके बाद एक के बाद एक सूर्य नमस्कार के पोज किए जाते हैं. 
  2. हस्तउत्तनासन करने के लिए खड़े रहते हुए ही हाथों को पीथे की तरफ कानों से सटाते हुए उठाएं. शरीर को भी पीछे खींचे. 
  3. पादहस्तासन करने के लिए शरीर को आगे की तरफ झुकाकर हाथेलियों को पैरों के पंजों के नीचे दबाकर खड़े हों. इसमें धीरे-धीरे सांस छोड़ें. घुटने मुड़े नहीं होने चाहिए. 
  4. अश्व संचालनासन एक पैरों को आगे की तरफ रखें, हाथों को आगे वाले पैर के पास रखें और दूसरे पैर को पीछे रखें. 
  5. अगले आसन यानी दंडासन के लिए जमीन पर पेट के बल लेटकर हथेलियों और पंजों के बल पर शरीर को ऊपर की तरफ उठाकर कुछ देर इसी अवस्था में रहें. 
  6. अष्टांग नमस्कार करने के लिए पेट के बल लेटकर पूरे शरीर को यहां तक की ठुड्डी को भी जमीन पर छुआएं लेकिन कूल्हे ऊपर की तरफ उठाएं. आपके घुटने भी जमीन से छूने चाहिए. 
  7. भुजंगासन (Bhujangasana)  करने के लिए शरीर के दोनों तरफ कंधों के पास हथेली रखें और आगे के हिस्से को उठाते हुए सिर मोड़कर शरीर को पीछे की तरफ झुकाएं. 
  8. अधोमुख शवासन भुजंगासन के तुरंत बाद करें. इसके लिए हाथों को सामने रखें और कूल्हे को ऊपर की तरफ उठाएं, घुटने भी उठे होने चाहिए और सिर्फ पैरों के पंजे और हथेलियां जमीन से सटी हों. 
  9. अश्व संचालासन फिर से करें लेकिन इसबार दूसरे पैर के साथ. 
  10. पादहस्तासन फिर से करें. 
  11. हस्तउत्तनासन करें. 
  12. प्रणामासन में वापस आ जाएं. 

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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