12 साल की उम्र तक बच्चे अकसर हो जाते हैं जिद्दी, टीनएजर को इस तरह से माता-पिता करें डील

टीनएज की उम्र आने से पहले 10-11 साल के बच्चे थोड़े जिद्दी और एग्रेसिव हो जाते हैं, उनसे आप कैसे डील कर सकते हैं आइए हम आपको बताते हैं.

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Deal with stubborn child : चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आप अपने 10-11 साल के बच्चों को कैसे हैंडल कर सकते हैं. 

Parenting Tips For Teenagers: जैसे-जैसे हमारे बच्चे बड़े होते जाते हैं उनके नेचर और उनके बिहेवियर में भी चेंज आता है और जब बच्चे 10-11 या 12 साल के होते हैं तो वह थोड़े से एग्रेसिव (Aggressive nature of children) हो जाते हैं. छोटी-छोटी बात पर चिड़चिड़े हो जाते हैं या जिद्द करने लगते हैं. ऐसे में पेरेंट्स (Parents) का सवाल रहता है कि टीनएज आने से पहले बच्चों में ये जो एग्रेसिव नेचर पैदा होता है उसे कैसे डील किया जा सकता है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आप अपने 10-11 साल के बच्चों को कैसे हैंडल कर सकते हैं. 

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बच्चों की हर डिमांड को पूरी ना करें : अगर आप शुरू से ही अपने बच्चों की हर डिमांड को पूरी करते हैं और उसकी हर बात पर यस-यस बोलते हैं तो ये करना बंद कर दें, क्योंकि इससे बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए अक्सर एग्रेसिव नेचर अपनाते हैं या चिड़चिड़े हो जाते हैं. 

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फ्रीडम देना है जरूरी : 10-11 साल के बच्चे थोड़े बड़े हो जाते हैं, ऐसे में आपको ओवर प्रोटेक्टिव होने की जरूरत नहीं है. आप बच्चों को थोड़ी आजादी दें, नहीं तो बच्चों के मन में पेरेंट्स के लिए नेगेटिव इमेज बनने लगती है और वो मम्मी पापा से बातें छुपाने भी लगते हैं. 

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हर बात पर डांटे ना : 10-12 साल के बच्चे थोड़े बड़े हो जाते हैं, ऐसे में आप उनके दोस्त बनाकर उनकी बातों को सुने और हर बात पर उन्हें डांटे नहीं, बल्कि उनकी बातों को इंपॉर्टेंस दें और गलती होने पर प्यार से समझाएं, 

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बहस करने से बचें : जी हां, इस एज में बच्चे अपनी बातों से तर्क वितर्क करने लगते हैं. ऐसे में पेरेंट्स को ध्यान देना चाहिए कि वो हर बात में बच्चों से बहस ना करें. 

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ओवर एग्रेसिव नेचर से घबराएं ना : कई बार बच्चे जब रोने या चिल्लाने लगते हैं या बहुत ज्यादा एग्रेसिव हो जाते है, तो पेरेंट्स घबरा जाते हैं और घबराहट में उनकी सब बात मान लेते हैं. लेकिन ये आदत गलत है, आप बच्चों के एग्रेसिव नेचर को ज्यादा तवज्जो ना दें. 

हर बार सजा देना जरूरी नहीं : बच्चों को हर गलती की पनिशमेंट देना जरूरी नहीं होता है. आप बच्चों को प्यार से समझा भी सकते हैं, इससे पेरेंट्स और बच्चों के बीच कम्युनिकेशन स्किल भी बेहतर होती है और बच्चे अपनी प्रॉब्लम्स शेयर भी करते हैं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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