Parenting Tips: बच्चे अपने आसपास जो देखते और सुनते हैं उसी से सीखते हैं. खासतौर पर छोटी उम्र में जो माहौल उन्हें दिया जाता है उसी से उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है. दरअसल हर अच्छी या बुरी चीज का प्रभाव बच्चों के दिमाग पर कम उम्र में ही पड़ता है. ऐसे में पैरेंट्स के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि वो अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छी आदतें (Good Habits) सिखाएं क्योंकि यही आदतें पूरी जिंदगी काम आती हैं. यहां जानिए 5 ऐसी बेसिक आदतों के बारे में जिन्हें पैरेंट्स को अपने बच्चों को जरूर सिखानी चाहिए क्योंकि ये न सिर्फ उनका व्यवहार और व्यक्तित्व निखारेंगी बल्कि जो भी आपके बच्चों को देखेगा उनकी तारीफ ही करेगा.
बच्चों को जरूर सिखानी चाहिए ये अच्छी आदतें
'प्लीज' और 'थैंक्यू' कहना सबसे बुनियादी लेकिन जरूरी शिष्टाचारों में से एक है जिसे हर बच्चे को सीखना चाहिए. कहने के लिए तो ये सिर्फ दो शब्द हैं लेकिन ये दूसरों के प्रति प्रशंसा और सम्मान दिखाने का बेहतरीन तरीका है. किसी को थैंक्यू बोलकर हम दिल से शुक्रिया अदा करते हैं तो प्लीज बोलकर अपने से छोटे या बड़ों को सम्मान देते हैं.
घर पर फैमिली के साथ बैठकर खाना हो या फिर किसी पार्टी में डिनर करना, टेबल मैनर्स (Table Manners) बच्चों को सिखाना बेहद जरूरी है. अपने बच्चे को सिखाएं कि वो अपनी कोहनी को टेबल से दूर रखें, मुंह में खाना भरकर बात ना करें और धीरे-धीरे और चुपचाप चबाएं. साथ ही, उन्हें खाना शुरू करने से पहले सभी टेबल पर बैठे बाकी लोगों के सर्व होने का इंतजार करना चाहिए और अगर खाने के बीच से उठकर जाना है तो एक्सक्यूज मी कहकर उठना जरूर सिखाएं.
बड़ों का सम्मान करना अच्छे शिष्टाचार का एक महत्वपूर्ण पहलू है. अपने बच्चे को बड़ों को सम्मान के साथ संबोधित करना सिखाएं. अपने से बड़ों को सम्मान देना और छोटों को प्यार के साथ सम्मानित करना जरूर सिखाएं साथ ही जब भी बड़े कुछ बता रहे हों तो उनको धैर्यपूर्वक सुनना और उनकी बात में रुचि दिखाना भी जरूर सिखाएं.
बच्चों को छोटे से ही अजनबियों के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करना सिखाएं. जैसेकि किसी भी नए व्यक्ति से मिलते समय हेलो है या नमस्ते कहना. किसी से भी बात करते वक्त आई कॉन्टेक्ट बनाकर रखने के साथ ही हाथ मिलाकर या तो जोड़कर अभिवादन करना सिखाएं.
अपने बच्चे को सिखाएं कि जब वे कुछ गलत करते हैं तो माफी मांगना कितना जरूरी है. माफ़ी मांगने से पता चलता है कि वे अपने कामों की जिम्मेदारी लेते हैं और सुधार करने के लिए तैयार हैं. गलती होने पर उन्हें सॉरी कहना सीखने और सामने वाले की गलती को माफ करना भी सिखाएं.