Maternity Leave: सरकारी-निजी कंपनियों को नीति आयोग सदस्य की सलाह, मैटरनिटी लीव बढ़ाकर 9 महीने हो 

मातृत्व अवकाश यानी मैटरनिटी लीव के लिए पहले 12 हफ्ते की पेड लीव मिलती थी जिसे 2017 में बढ़ाकर 26 हफ्ते किया गया था. अब नीति आयोग सदस्य की सरकारी-निजी कंपनियों को सलाह है कि इस अवकाश को बढ़ाया जाए.

Advertisement
Read Time: 23 mins
M

Maternity Leave: महिलाओं को दिए जाने वाले मातृत्व अवकाश  को लेकर समय-समय पर चर्चा होती रही है. चर्चा का केंद्र ये होता है कि उनके लिए कितने दिन की छुट्टी पर्याप्त है. फिलहाल सरकारी और प्राइवेट कंपनियों में मातृत्व अवकाश के लिए 26 हफ्ते यानी करीब 6 महीने निर्धारित हैं. महिला कर्मियों को ये छुट्टियां, उनके गर्भवती होने से लेकर बच्चे का जन्म होने के बाद तक की अवधि के बीच दी जाती है. इस बीच ऐसी चर्चा हो रही है कि आने वाले समय में 6 महीने की इस छुट्टी को बढ़ाकर 9 महीने किया जा सकता है. यह चर्चा शुरू हुई है नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्य VK पॉल के बयान से. उन्होंने कहा है कि पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर की महिला कर्मियों के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने करने पर विचार करना चाहिए.

पहले कितनी मिलती थी छुट्टी

मातृत्व अवकाश के लिए पहले 12 हफ्ते की पेड लीव मिलती थी. वर्ष 2017 में संसद में मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया गया था, जिसके तहत मातृत्व अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ता कर दिया गया था.

FICCI की महिला संगठन FLO ने एक बयान जारी कर पॉल के हवाले से कहा, 'प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर को साथ बैठकर मातृत्व अवकाश 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने करने पर विचार करना चाहिए.'

Advertisement
नीति आयोग की मदद करें प्राइवेट सेक्टर

नीति आयोग के सदस्य VK पॉल ने कहा, 'प्राइवेट सेक्टर को बच्चों की बेहतर परवरिश सुनिश्चित करने के लिए और अधिक क्रेच (Creche) खोलने चाहिए. उन्हें बच्चों और जरूरतमंद बुजुर्गों की समग्र देखभाल की व्यवस्था तैयार करने में नीति आयोग की मदद करनी चाहिए.'

Advertisement

उन्होंने कहा कि देखभाल के लिए भविष्य में लाखों कर्मियों की जरूरत होगी, इसलिए व्यवस्थित ट्रेनिंग सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है.

Advertisement
देखभाल अर्थव्यवस्था

FLO की अध्यक्ष सुधा शिवकुमार ने कहा कि 'वैश्विक स्तर पर देखभाल' की अर्थव्यवस्था यानी केयर इकोनॉमी एक अहम सेक्टर है जिसमें देखभाल करने और घरेलू कार्य करने वाले वैतनिक-अवैतनिक कर्मी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ये सेक्टर आर्थिक विकास, लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है. इस काम को ग्लोबल स्तर पर कम आंका गया है.'

Advertisement

सुधा शिवकुमार ने आगे कहा, 'भारत में बड़ी खामी है कि हमारे पास देखभाल अर्थव्यवस्था से जुड़े कर्मियों की ठीक से पहचान करने की कोई प्रणाली नहीं है और अन्य देशों की तुलना में 'देखभाल अर्थव्यवस्था' पर भारत का सार्वजनिक खर्च बहुत कम है.

मुंबई के सड़कों पर सूर्या, मलाइका अरोड़ा, सुज़ैन खान को किया गया स्पॉट

Featured Video Of The Day
One Nation One Election: एक देश एक चुनाव पर कैबिनेट की मुहर, NDA एकजुट लेकिन विपक्ष ने उठाए सवाल
Topics mentioned in this article