Parenting Tips: बच्चा बड़ा होकर किस तरह का इंसान बनेगा, उसका व्यवहार कैसा होगा, व्यक्तित्व कैसा होगा और वह किस तरह का करियर चुनेगा यह सभी चीजें किसी ना किसी तरह परवरिश से प्रभावित होती हैं. माता-पिता (Parents) कच्ची उम्र से ही बच्चे को निखारने और संवारने का काम करते हैं उसे एक बेहतर इंसान बनाते हैं. वहीं, परवरिश में कमी रह जाए तो बच्चा जिद्दी, घमंडी, गुस्सैल या हर काम से जी चुराने वाला व्यक्ति भी बन सकता है. कहते हैं पहले जमाने की परवरिश और अब की परवरिश में बहुत फर्क होता है. आजकल दोनों माता-पिता कामकाजी होते हैं और बच्चे को अपना पूरा समय भी नहीं दे पाते हैं. ऐसे में बच्चे को किस तरह अच्छे गुण दिए जा सकते हैं और कैसे उसे जीवन में आगे बढ़ते रहने का साहस दें, जानिए मॉडर्न पैरेंटिंग (Modern Parenting) के कुछ तरीकों से.
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मॉडर्न पैरेंटिंग टिप्स | Modern Parenting Tips
बच्चे के लिए निकालें समयमाता-पिता होने के नाते बच्चे के प्रति आपकी पहली जिम्मेदारी बनती है कि आप उसके लिए समय निकालें. बच्चे के जीवन में माता-पिता की भागीदारी मायने रखती है. उसे अटेंशन दें, उसपर ध्यान दें, उसकी बातें सुनें और अपनी बातें उससे कहें.
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बच्चे अक्सर ही मनमाने होते चले जाते हैं और माता-पिता की बात सुनने के बजाय अपनी चलाने लगते हैं. छोटी उम्र में ऐसा ज्यादा देखने को मिलता है. आपके बच्चे (Child) की आदतें इस तरह की ना हो जाएं इसके लिए कुछ नियम निर्धारित करें जिससे बच्चा जिद्दी या बदमाश ना बने.
मॉडर्न पैरेंट्स (Modern Parents) अपने लाड़-प्यार से अक्सर ही बच्चे को जिद्दी और घमंडी बना देते हैं. घर पर माता-पिता से डांट का डर ना रहने पर बाहर भी बच्चे किसी का सम्मान नहीं करते हैं. वहीं, यही बच्चे जब बड़े होकर बाहरी दुनिया में निकलते हैं तो सच्चाई अपने अनुसार ना पाकर हताश हो जाते हैं और समझ नहीं पाते कि जीवन में आगे कैसे बढ़ा जाए.
ऐसे पैरेंट्स ना बनें जो बच्चे को तो यह कहते हैं कि झूठ मत बोलो और खुद उन्हीं के सामने दूसरों से हर समय झूठ बोलते रहते हैं. यह जरूरी है कि माता-पिता बच्चे के लिए अच्छे रोल मॉडल साबित हों. बच्चे अपने माता-पिता से ही व्यवहारिक बातें सीखते हैं.
किसी एक पैरेंटिंग स्टाइल पर ना चलेंयह समझना बेहद जरूरी होता है कि हर बच्चा अलग है, उसकी इच्छाएं और उसका जीवन अलग है और उसके साथ घटने वाली घटनाएं भी बाकी बच्चों से बिल्कुल अलग हैं. आपको किसी एक ही पैरेंटिंग स्टाइल (Parenting Style) पर अड़कर नहीं रहना है कि दूसरे माता-पिता जो कर रहे हैं हम भी वहीं करेंगे. अपने पैरेंटिंग स्टाइल को फ्लेक्सिबल रखें. बच्चे के अनुसार और उसकी खुशी के अनुसार बड़े फैसले लें, किसी इंफ्लुएंसर के कहेनुसार परवरिश ना करें.