
Jaya Kishori Tips: दो अनजान लोग जब शादी के बंधन में बंधते हैं तो रिश्ता जन्म जन्मांतर का माना जाने लगता है. लेकिन सच्चाई ये है कि रिश्ता चाहें जितने भी सालों का हो उसमें तालमेल बिठाना इतना आसान नहीं होता. पति पत्नी के रिश्ते की गाड़ी सही ट्रैक पर आ जाए, इसके लिए घर वालों का भी सपोर्ट लगता है और कभी कभी प्राइवेसी की भी जरूरत होती है. इस बारे में स्पिरिचुअल गुरु और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी (Jaya Kishori Motivational Speech) के विचार कुछ अलग है. उन्होंने अपने तरीके से बताया किस तरह माता पिता बच्चों की अरेंज मैरिज को सक्सेसफुल बनाने में मदद कर सकते हैं.
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घर लेकर अलग रहें
जया किशोरी ने एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में कहा कि शादी पर ज्यादा खर्चा करने की जगह, लड़का और लड़की के पैरेंट्स ने जो पैसा जमा किया है. उस पैसे से एक घर खरीद लेना चाहिए. वो घर भले ही उनके बच्चों के घर के पास ही हो. जया किशोरी का कहना है कि अरेंज मैरिज में एक बॉन्ड बनना मुश्किल है. ये बॉन्ड बनाने के लिए प्राइवेसी की जरूरत है. जो माता पिता के कहीं और रहने की वजह से ही मिल सकती है. जया किशोरी ने ये भी कहा कि जरूरी नहीं कि माता पिता हमेशा ही अलग रहें. नए जोड़े को थोड़ा समय देने के कुछ समय बाद सभी लोग एक साथ रह सकते हैं.

अरेंज मैरिज में तालमेल बिठाने के टिप्स (Tips for coping with an arranged marriage)
1. शुरुआत में प्रेशर न बनाएं
शादी के तुरंत बाद ही माता-पिता को बच्चों से 'एक-दूसरे को तुरंत समझने' या 'परफेक्ट कपल' बनने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. हर रिश्ता समय लेता है. शुरुआत में उन्हें एक-दूसरे को जानने और समझने की आजादी दें.
2. निजी स्पेस देना सीखें
शादी के बाद नई जोड़ी को कुछ समय अकेले बिताने की जरूरत होती है. चाहे वो बेटा हो या बेटी – दोनों को अपने पार्टनर के साथ समय देने दें ताकि वो एक-दूसरे की पसंद, आदतें और सोच को समझ सकें.

3. तुलना करने से बचें
कई बार माता-पिता दूसरे घरों की बहुओं या दामादों से तुलना कर बैठते हैं. ये नई बहू या दामाद को असहज बना सकता है और रिश्ते में तनाव ला सकता है. हर इंसान अलग होता है इसलिए तुलना नहीं, स्वीकार करें.
4. बातचीत को प्रोत्साहित करें
अगर लगता है कि बेटा या बहू किसी बात से परेशान है, तो उन्हें खुलकर बात करने का मौका दें. लेकिन जरूरी है कि आप एक अच्छे श्रोता बनें, न कि जजमेंटल. बातचीत रिश्तों की सबसे बड़ी कुंजी है.
5. मिलकर समय बिताएं, लेकिन लिमिट में
कुछ समय बच्चों के साथ बैठें, बातें करें, साथ खाना खाएं. ये सब नजदीकियां बढ़ाते हैं. लेकिन जरूरी है कि आप हर समय उनके बीच हस्तक्षेप न करें.
6. छोटे मतभेदों को बड़ा न बनाएं
शादी के शुरुआती महीनों में छोटे-छोटे मतभेद आम बात है. ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वो न्यूट्रल रहें और बच्चों को खुद अपनी समस्याएं सुलझाने का मौका दें.
7. सलाह जरूर दें, पर थोपी न जाए
अगर बच्चा या बहू आपसे राय मांगे, तो जरूर दें. लेकिन अपनी सोच उन पर थोपना सही नहीं. रिश्ते प्यार और समझ से बनते हैं, जबरदस्ती से नहीं.
8. अपने अनुभव साझा करें
माता-पिता अपने वैवाहिक जीवन के अनुभव भी साझा कर सकते हैं. ताकि नए जोड़े को समझ आए कि हर शादी में समय लगता है. इससे उन्हें इंस्पिरेशन मिलेगी और वो बेहतर तरीके से नई जिंदगी को समझ सकेंगे.
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