भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद - भारत मधुमेह (आईसीएमआर-इंडिया बी) के एक अध्ययन के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 39 प्रतिशत लोग मोटापे से जूझ रहे हैं, जबकि 11.5 प्रतिशत लोग मधुमेह से पीड़ित हैं. देशव्यापी अध्ययन के तहत राज्य के नतीजे मंगलवार को जारी किए गए. अध्ययन के नतीजों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में करीब 77 प्रतिशत लोग डिसलिपिडेमिया से पीड़ित हैं. खून में वसा के असामान्य होने की वजह से डिसलिपिडेमिया की समस्या होती और इससे दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है.
शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में औषधि विभाग में प्रोफेसर डॉ. जे के मुक्ता इस अध्ययन के प्रधान अनुसंधानकर्ता हैं. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में राज्य में करीब 4,000 लोगों को शामिल किया गया. सर्वेक्षण सितंबर 2019 मार्च 2020 तक चला था.
डॉ. मुक्ता ने बताया, ‘‘देश में टाइप-दो मधुमेह के प्रसार के मामले में हिमाचल प्रदेश देश में सातवें स्थान पर है और यहां मधुमेह का प्रसार पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के साथ राष्ट्रीय स्तर की तुलना में कहीं अधिक है.''
उन्होंने कहा कि मुधमेह का प्रसार महिलाओं और पुरुषों में समान है लेकिन ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में इसका प्रसार अधिक है.
डॉ. मुक्ता ने कहा कि अध्ययन के अनुसार मधुमेह से जूझ रहे लोगों में से करीब आधे प्रतिशत लोगों को यह नहीं पता था कि वे इस रोग से ग्रसित हैं और वे मुधमेह के बारे में जानते भी नहीं थे. अध्ययन में यह भी पता चला कि करीब 31 प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप से जूझ रहे हैं.
पांचवां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण दिसंबर में जारी हुआ था. मुक्ता ने कहा कि अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतें और जीवन शैली में शिथिलता इस तरह के रोग के लिए जिम्मेदार हैं.