एंप्लाई को देना है फीडबैक तो लें सैंडविच थेरैपी का सहारा, टीम के लोगों का नहीं फूलेगा मुंह

Sandwich Therapy: काम की जगह पर अगर सही तरह से फीडबैक ना दिया जाए या एंप्लाई से अपनी बात सही शब्दों के साथ नहीं कही जाए तो बात बनने के बजाय बिगड़ भी सकती है. ऐसे में यहां जानिए क्या है फीडबैक देने की सैंडविच थेरैपी.

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How To Give Negative Feedback: इस तरह देंगे फीडबैक तो कोई एंप्लाई नहीं फुलाएगा मुंह.

Sandwich Therapy For Feedback: बॉस होने की एक जिम्मेदारी यह भी होती है कि अपनी बात सही तरह से एंप्लाई तक पहुंचा दी जाए. कई बार एंप्लाई (Employee) कई तरह की गलतियां भी कर देते हैं या फिर उनके काम या व्यवहार से जुड़ी ऐसी चीजें होती हैं जिनमें सुधार की जरूरत होती है. लेकिन, इस बात को सीधेतौर पर किस तरह किया जाए यह समझ नहीं आता. अगर नेगेटिव फीडबैक को सही तरह से ना दिया जाए तो इससे एंप्लाई का मुंह भी फूल सकता है और हो सकता है उसके मन को ठेस लग जाए. ऐसे में आप सैंडविच थेरैपी का सहारा ले सकते हैं. यहां जानिए क्या होती है सैंडविच थेरैपी (Sandwich Therapy) जिसे ध्यान में रखकर फीडबैक देने पर किसी को बुरा नहीं लगेगा और आप आसानी से अपनी बात एंप्लाई से कह सकेंगे.

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सैंडविच थेरैपी से दें फीडबैक

किसी को भी फीडबैक देने के लिए सैंडविच थेरैपी का सहारा लिया जा सकता है. सैंडविच थेरैपी का मतलब है कि अगर आपको कुछ नेगेटिव कहना है तो उससे पहले कुछ पॉजीटिव कह दें, बीच में अपना नेगेटिव कमेंट (Negative Comment) दें और फिर आखिर में एकबार फिर कुछ पॉजीटिव कह दें. उदाहरण के तौर पर पहले कहें कि तुम एक अच्छे एंप्लाई हो और मुझे तुम्हारा काम पसंद है लेकिन तुम्हारी परफोर्मेंस हालिया दिनों में अच्छी नहीं है और तुम्हें सुधार की जरूरत है, मुझे पूरा भरोसा है कि तुम यह काम बहुत अच्छे से पूरा कर लोगे.

एंप्लाई को कोई बात समझानी हो या फिर उसे डांटना हो, इस सैंडविच थेरैपी का सहारा लिया जा सकता है. बस इस बात का ध्यान रहे कि आपकी आवाज और बोलने के तरीके में धीरज हो और आप गुस्से में चिल्लाते हुए यह सब ना कहें.

ये टिप्स भी आएंगे काम
  • आप चाहे तो अपने बच्चों या घर की किसी सदस्य पर भी सैंडविच थेरैपी आजमा सकते हैं.
  • फीडबैक देने के लिए प्राइवेट एरिया चुनें. सभी के सामने फीडबैक देने से परहेज करें. इस तरह नेगेटिव फीडबैक से व्यक्ति अपमानित महसूस करता है.
  • झूठी तारीफ करने से परहेज करें बल्कि पॉइंट टू पॉइंट बात करें.
  • बुराई भी जरूरत से ज्यादा या काम की बात से हटकर करने से परहेज करें.
  • फीडबैक देने का सही समय चुनें. ऐसा ना हो कि एक महीने या 2 महीने पुरानी बात का फीडबैक आप तब दें जब व्यक्ति अपने काम में सचमुच कुछ सुधार कर सके.

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