बात-बात पर रो देता है बच्चा तो इस तरह बनाएं उसे इमोशनली स्ट्रोंग, डॉक्टर ने शेयर किए टिप्स

Emotionally Strong Kids: व्यक्ति का इमोशनली इंटेलिजेंट होना और इमोशनली स्ट्रोंग होना बेहद जरूरी है. यह गुण छोटी उम्र से ही बच्चे में डाले जा सकते हैं. यहां जानिए कैसे.

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Emotional Intelligence In Children: जानिए बच्चे में कैसे आएगी इमोशनल इंटेलिजेंस.

Parenting Tips: इमोशनल इंटेलिजेंस व्यक्ति का वह गुण है जिसमें वह चीजों को बेहतर तरह से समझता है, फीलिंग्स को एक्सप्रेस करना जानता है और अपने इमोशंस को बिना दिक्कत के मैनेज करता है. किसी में इमोशनल इंटेलिजेंस (Emotional Intelligence) ना हो या फिर व्यक्ति अगर इमोशनली स्ट्रोंग (Emotionally Strong) ना हो तो हर छोटी-बड़ी बात उसके मन को ठेस पहुंचा देती है. वहीं, खुद को समझना, अपनी भावनाओं को समझना और रिश्तों को संभालना भी मुश्किल होने लगता है. बड़े होकर व्यक्ति अपनी भावनाओं को ना समझकर ठोकर खाए उससे बेहतर छोटी उम्र में ही बच्चों को इमोशनली इंटेलिजेंट बनाने की कोशिश की जा सकती है. बच्चे का हर बात पर रो देना या फिर छोटी-छोटी चीजों को मन पर लगा देना इस बात का संकेत है कि बच्चा इमोशनली इंटेलिजेंट नहीं है. ऐसे में डॉ. रवि मलिक की सलाह सभी के काम आ सकती है. डॉक्टर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से इस वीडियो को शेयर किया है जिसमें वे बता रहे हैं कि माता-पिता (Parents) किस तरह बच्चे को इमोशनली स्ट्रोंग बना सकते हैं.

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बच्चे को कैसे बनाएं इमोशनली स्ट्रोंग 

डॉक्टर ने बताया यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि बच्चा हर बात पर घबराए नहीं, हौसला रखे, फ्लेक्सिबल हो, थोड़ा ओपटिमिस्ट हो यानी पॉजीटिव विचार रखे और अपने गुस्से को कंट्रोल करना जानता हो. अगर ये चीजें बच्चे में होती हैं तो वह नेचुरली ज्यादा इमोशनली स्ट्रोंग होगा, जीवन में कामयाब होगा और हमेशा खुश रहेगा. इसीलिए पैरेंट्स कुछ बातों को ध्यान में रखकर बच्चे को इमोशनली स्ट्रोंग और इमोशनली इंटेलिजेंट बना सकते हैं.

बच्चे की फीलिंग्स को दबाएं नहीं

डॉक्टर का कहना है कि इस बात का ध्यान रखें कि आप बच्चे की फीलिंग्स (Feelings) को दबाएं नहीं. बच्चे को अलग-अलग फीलिंग्स के बारे में बताएं, उसे पता होना चाहिए कि किस इमोशन को क्या कहते हैं जिससे कि बच्चा आपको बता सके कि आज वह फ्रस्ट्रेटेड फील कर रहा था या फिर वह दुखी था, खुशी महसूस कर रहा था या एक्साइटेड फील कर रहा था.

बच्चे को थोड़ा स्ट्रगल करने दें

बच्चे को थोड़ा स्ट्र्गल भी करने दें और खुद से चीजें सीखने का मौका दें. ओवरप्रोटेक्शन बच्चे को इमोशनली स्ट्रोंग बनने से रोकती हैं. बच्चा खुद अपने रास्ते ढूंढ सकता है, अपने रास्ते बनाना सीखता है. हमें बच्चे की कोशिशों को सराहना है ना कि उसके रिजल्ट्स पर ध्यान देते रहना है. अगर बच्चे का रिजल्ट अच्छा ना भी आया हो तो उसकी कोशश की सराहना करें जिससे उसका कोंफिडेंस भी बढ़ेगा और वह ज्यादा इमोशनली स्ट्रोंग होगा.

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बच्चे के लिए बनें रोल मॉडल

माता-पिता को बच्चे का रोल मॉडल बनना चाहिए. उसे यह दिखाएं कि आप किस तरह अपने गुस्से पर काबू पाते हैं या अपना गुस्सा कंट्रोल में रखते हैं. बच्चे को दिखाएं कि आप पॉजीटिव बातें कहते हैं और हमेशा पॉजीटिव एटिट्यूड के साथ आगे बढ़ते हैं. तभी बच्चा यह देखकर सीखता है. बच्चे को यह भी सिखाएं कि किसी से मदद मांगना गलत नहीं है. वह चाहे तो आपसे या किसी से मदद ले सकता है. मदद मांगना कमजोरी की निशानी नहीं होता है.

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