Holi 2023: केमिकल वाले रंग स्किन को पहुंचाते हैं नुकसान, जानिए कैसे करें असली-नकली गुलाल की पहचान 

Holi Colors: होली के दिन केमिकल वाले रंगों का खूब इस्तेमाल होता है जो कई बार स्किन के लिए बेहद नुकसानदायक भी साबित होते हैं. ऐसे में इन रंगों के असली-नकली होने की पहचान करना जरूरी होता है. 

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Real Vs Fake Gulal: इस तरह जानें होली के रंग असली हैं या नकली. 

Holi 2023: होली रंगों का त्योहार है और इस दिन रंग-गुलाल उड़ाकर खूब खेला जाता है. लेकिन, जिस तरह दीवाली के समय बाजार में मिलावटी मिठाइयों की बाढ़ आ जाती है बिल्कुल उसी तरह होली के समय मिलावटी रंग ( Adulterated Colours) जोरों-शोरों से बेचे जाते हैं. इन रंगों में कांच, केमिकल्स, बालू, रेत और मिट्टी आदि भी मिलाई जाती है जो स्किन एलर्जी का कारण तो बनते ही हैं साथ ही इनसे त्वचा पर खरोंच और कटने-फटने की दिक्कत भी हो जाती है. ऐसे में असली और नकली रंगों की पहचान करना बेहद जरूरी हो जाता है, खासकर तब जब इन रंगों से खेलने वाले घर के छोटे-छोटे बच्चे हों. 

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होली के असली-नकली रंगों की पहचान कैसे करें 

नहीं निकलता रंग 


सबसे पहले हाथों के छोटे से हिस्से पर गुलाल या गीले वाले रंग लगाकर देखें. 10  से 15 मिनट लगाए रखने के बाद इस रंग को सादे पानी से धोकर छुड़ाने की कोशिश करें. अगर रंग बहुत देर छुड़ाने के बाद भी ना हटे और जस का तस बना रहे तो संभावना है कि रंग असली या ऑर्गेनिक नहीं है क्योंकि ऑर्गेनिक रंग (Organic Colours) जल्दी छूट जाते हैं. 

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पैकेजिंग का रखें ध्यान 


असली रंगों की पैकेजिंग भी आमतौर पर असली ही होती है जिसपर सभी इंस्ट्रक्शंस लिखे होते हैं. पैकेंजिंग देखें कि कहीं से कटी-फटी हुई ना हो या ऐसा ना लगे कि पैकेजिंग के साथ किसी तरह की छेड़खानी की गई है. छेड़खानी होने पर मिलावट की संभावना शत-प्रतिशत हो सकती है. 

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लेबल पढ़ें 


जब आप किसी प्रोडक्ट का लेबल देखते हैं तो आपको ऐसी चीजें पता चलती हैं जिनपर आपने पहले शायद ही ध्यान दिया होगा. लेबल पर देखें कि रंगों से जुड़ी क्या सामग्री लिखी गई है, उसके बनने की तारीख क्या है और उसे कबतक इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही रंग किस कंपनी का है यह भी देखना जरूरी है. अगर रंग की सामग्री में कोई ऐसा पदार्थ या कहें केमिकल (Chemical) है जो स्किन के लिए बुरा साबित हो सकता है तो उसके इस्तेमाल से परहेज करें. 

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पानी से करें टेस्ट 

स्किन पर लगाकर टेस्ट ना करना हो तो पानी से भी टेस्ट (Water Test) करके देखा जा सकता है. रंगों को पानी में टेस्ट करने के लिए एक चम्मच के बराबर रंग को पानी में घोलें. अगर रंग पानी में पूरी तरह घुल जाता है तो रंग प्राकृतिक है और अगर नहीं तो रंग केमिकल वाला है या फिर उसमें मिलावट की गई है. इसके अलावा, बर्तन को साफ करने पर भी प्राकृतिक रंग आसानी से धुलकर निकल जाएंगे जबकि केमिकल वाले रंगो को छुड़ाने में अत्यधिक जद्दोजहद करनी पड़ सकती है. 

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अगर दिखें चमकदार टुकड़े 


अगर रंग में चमकदार टुकड़े दिखने लगें तो हो सकता है कि उसमें शीशे की मिलावट की गई है. शीशे की मिलावट होने पर उसके टुकड़े चमकते हुए दिखने लगते हैं. ये टुकड़े त्वचा पर अत्यधिक कठोर होते हैं और उससे स्किन पर एलर्जी होने के साथ ही स्किन जरूरत से ज्यादा लाल पड़ सकती है. 

देखें दाम 

आमतौर पर नेचुरल रंग महंगे होते हैं और लोकल केमिकल वाले रंगों के दाम कम होते हैं. अच्छे रंगों को बनाने में जिन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है वह आमतौर पर महंगी ही आती हैं. इसीलिए पैसे बचाने के चक्कर में सस्ते और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग (Gulal) ना खरीद लाएं. 

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