Kadamba fruit for diabetes: डायबिटीज (diabetes) लाइफस्टाइल से जुड़ी ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज को हर दिन डाइट में खास परहेज करना पड़ता है. ब्लड शुगर (blood sugar) में आते उतार चढ़ाव को बैलेंस रखने के लिए लोग काफी मेहनत करते हैं. ऐसे में आयुर्वेद ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए कदम्ब के फल को रामबाण कहा गया है. जी हां कदंब का फल ना केवल शुगर बल्कि दूसरी कई बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है. कदंब (Kadamba fruit) का केवल फल नहीं, इसके पत्ते, जड़ और छाल भी कई बीमारियों को दूर करने में कारगर कहे जाते हैं.
पोषण की खान है कदंब का फल
कदम्ब के फल को बर फ्लावर ट्री और वाइल्ड सिनकोना भी कहते हैं. यूं तो पेड़ साल भर हरा भरा रहता है लेकिन इस पर मई के महीने में नारंगी गोल फल आते हैं, जो पोषण से भरपूर होते हैं. कदम्ब के फल में ढेर सारे मिनरल्स, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और ये शुगर में बहुत फायदा करते हैं. कदंब के पेड़ की पत्तियों में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी एनाल्जेसिक गुण होते हैं. इसका फल नेचुरल पेन किलर के रूप में काफी खाया जाता है.
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डायबिटीज को नियंत्रित करता है कदंब का फल
कदंब का फल एंटी डायबिटिक होने के कारण डायबिटीज को नियंत्रित करने में काफी फायदेमंद कहा जाता है. इसके फल का चूर्ण बनाकर रोज खाया जाए तो शुगर रोगी का ब्लड शुगर जल्द काबू में आ जाता है. इसके अलावा कदंब के फल में ढेर सारा आयरन भी होता है और इसे खाने से एनीमिया की परेशानी दूर हो जाती है. कहा जाता है कि कदम्ब के फल का सेवन करने से बच्चे को स्तनपान कराने वाली मां के मिल्क का प्रोडक्शन बढ़ जाता है. कदंब का फल और फूल हाई बीपी में फायदा करता है. इसके सेवन से सर्दी, खांसी और जुकाम जैसी मौसमी बीमारियों में भी फायदा मिलता है. इसके साथ साथ कदंब का फल पेट संबंधी बीमारियों में लाभ करता है. इसके सेवन से कब्ज और अपच जैसी दिक्कतें दूर हो जाती हैं. इसके नियमित सेवन से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है.
कैसे करें कदम्ब के फल का सेवन
अगर आपको डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए कदंब का सेवन करना है तो सबसे पहले इसके फूल और पत्तियों को सुखा लीजिए. अच्छी तरह सूख जाने पर इनको पीस कर पाउडर बना लीजिए. अब इसमें जामुन की सूखी गुठली को पीस कर बनाया गया चूर्ण मिक्स कर लीजिए. इस पाउडर को किसी एयर टाइट कांच के बर्तन में स्टोर करके रख लीजिए. शुगर रोगियों को रोज इसका एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ लेना चाहिए. ऐसा करने पर दो से तीन महीने में शुगर लेवल नेचुरल तौर पर कंट्रोल में आ जाता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.