Parenting Tips: बच्चे जब छोटे होते हैं तो कई बार माता-पिता पर हाथ उठा देते हैं, बाल खींचने लगते हैं, काट लेते हैं या फिर अगर पैरेंट्स आंखें दिखाएं तो पलटकर आंख दिखाने लगते हैं. ज्यादातार बच्चों में हाथ उठाने की आदत देखी जाती है. अगर माता-पिता शुरुआत में ही बच्चे का हाथ उठाना (Hitting) नहीं रोकते तो बच्चा बड़ा होते-होते हाथ उठाने को आदत बना लेता है. इससे होता यह है कि कई बार तो पैरेंट्स को दूसरे लोगों के सामने शर्मिंदा तक होना पड़ जाता है. वहीं, यह समझ आना मुश्किल हो जाता है कि यह आदत छुड़ाई कैसे जाए. अगर बच्चे को बाद में मारा-पीटा जाए तो वह पलटकर और तेज मारना शुरू कर देता है. ऐसे में डॉक्टर अर्पित गुप्ता से जानिए कि बच्चे ने माता-पिता पर हाथ उठाना शुरू कर दिया है तो किस तरह इस स्थिति को कंट्रोल में लाया जा सकता है. डॉ. अर्पित गुप्ता पीडियाट्रिशियन (Pediatrician) हैं और बच्चों की सेहत और परवरिश से जुड़े टिप्स अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करते रहते हैं.
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डॉ. अर्पित गुप्ता का कहना है कि अगर बच्चा आपकी गोद में है और आपको मारता है तो उसे तुरंत गोद से उतार दें. बच्चे को बताएं कि मारना गलत है. पैरेंट्स को बाउंड्रीज सेट करना जरूरी है. बच्चे का मारना कभी भी एक्सेप्ट ना करें और तुरंत उसे गोद से नीचे रखें या फिर उसे अलग बैठा दें और बताएं कि हाथ उठाना एक्सेप्टेबल नहीं है. डॉक्टर का कहना है कि माता-पिता (Parents) को बच्चे के हाथ उठाने की वजह भी जाननी चाहिए कि यह फ्रस्ट्रेशन की वजह से हो रहा है या गुस्से की वजह से. यहां डॉक्टर की बताई कुछ स्ट्रेटजीज दी गई हैं जिनसे पैरेंट्स बच्चे के हाथ उठाने की सिचुएशन को बेहतर तरह से हैंडल कर सकते हैं.
संयम बनाए रखना - पैरेंट्स का इस सिचुएशन में काल्म (Calm) रहना यानी संयम बनाए रखना जरूरी है. बच्चा हाथ उठाए तो एकदम से गुस्सा करने से स्थिति बिगड़ सकती है और बच्चा ज्यादा हाथ उठा सकता है. गहरी सांस लें और अपनी आवाज में भी गुस्से को ना झलकने दें.
क्लियर बाउंड्रीज सेट करना - आराम से बच्चे को बताएं कि मारना स्वीकार्य नहीं है, एक्सेप्टेबल नहीं है. आप यह कह सकते हैं कि, 'हम किसी को मारते नहीं हैं क्योंकि मारने पर लोगों को दर्द होता है'.
सिखाएं सही व्यवहार - बच्चे को अपना गुस्सा या भावनाएं व्यक्त करने के तरीके बताएं. उसे बताएं कि हाथ उठाने के बजाय वह यह कह सकता है कि उसे 'गुस्सा आ रहा है' या 'यह मुझे पसंद नहीं है', बजाय हाथ उठाने या फिजिकल एक्शन लेने के.
टाइमआउट या कोन्सिक्वेंसेस - स्थिति को देखते हुए बच्चे को 1-2 मिनट के शॉर्ट टाइमआउट (Short Timeout) पर डाल दें. जैसे कि अगर बच्चा बाकी बच्चों के साथ खेल रहा है और किसी पर हाथ उठा देता है तो उसे उस जगह से अलग बिठा दें. इससे बच्चे को समझ आएगा कि उसके हाथ उठाने के क्या परिणाम हो सकते हैं.
अच्छे व्यवहार की सराहना करें - जब छोटा बच्चा अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए संयम से काम लेता है और हाथ नहीं उठाता तो बच्चे की सराहना करें. पॉजीटिव बिहेवियर (Positive Behavior) से बच्चे को समझ आएगा कि क्या एक्सेप्टेबल है और क्या नहीं.
ट्रिगर्स पहचानें - जो स्थिति या फिर चीजें बच्चे को ट्रिगर करती हैं उन्हें पहचानें. कई बार बच्चा थकान, भूख या ऑवरस्टिम्यूलेशन के चलते भी फ्रस्ट्रेटेड (Frustrated) होकर हाथ उठाने लगता है.
कंसिस्टेंट रहें - डॉक्टर के अनुसार, माता-पिता को कंसिस्टेंट रहना जरूरी है. अगर बच्चा मारता है तो उसे तुरंत गोद से उतार देना या फिर टाइमआउट पर रखना जरूरी है और यह हर बार ही करना होगा.
आखिर में डॉक्टर का कहना है कि छोटे बच्चे अपने इमोशंस को रेग्यूलेट करना सीख ही रहे होते हैं और ऐसे में अपनी फ्रस्ट्रेशन या गुस्से के कारण या फिर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए हाथ उठाने लगते हैं. पेशंस और कंसिस्टेंसी से बच्चे इस व्यवहार को छोड़ देते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.