Ambedkar Jayanti 2023: हर साल 14 अप्रैल के दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्मदिवस मनाया जाता है. डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था. बी. आर अंबेडकर अपने परिवार के 14वें और सबसे छोटे बच्चे थे. डॉ. बी. आर. अंबेडकर संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है. डॉ. अंबेडकर का शुरूआती जीवन संघर्षों से भरा हुआ था. अपने सामने आने वाली हर मुश्किल से पार पाकर उन्होंने जो मकाम हासिल किया और भारत की स्वतंत्रता और संविधान में जो योगदान दिया उसे आज भी याद किया जाता है.
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डॉ. भीमराव अंबेडकर मध्य प्रदेश के दलित परिवार से थे. उनके पिता रामजी मालौजी सकपाल ब्रिटिश आर्मी में सूबेदार थे और संत कबीर को मानते थे. भीमराव अंबेडकर ने अपने स्नाकोत्तर की पढ़ाई उस समय के बंबई के एल्फिंस्टन कॉलेज से की और बरोड़ा के राजा सायाजिराओ गाइकवाड स्कॉरलशिप हासिल की. इसके बाद अंबेडकर ने कुछ समय बरोड़ा में भी काम किया. स्कॉलर के रूप में चुने जाने के बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर आगे की शिक्षा के लिए यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका चले गए. कोलंबिया यूनिवर्सिटी से उन्होंने एम ए और पीएचडी की.
कोल्हापुर के महाराजा की मदद से डॉ. भीमराव अंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से आगे पढ़ाई की. अपने समय में सबसे ज्यादा पढ़ने वाले भारतीयों की गिनती में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का भी नाम आता है. भारत में डॉ. बी. आर. अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) के मृत्यु के दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्हें मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न से भी नवाजा गया था.
डॉ. भीमराव अंबेडकर अपने खुले विचारों के लिए जाने जाते थे. यहां उनकी कही गई कुछ बातें व विचार दिए गए हैं जिन्हें आप अपने परिचितों से भी साझा कर सकते हैं.
- बुद्धि का विकास मानक के अस्तिव का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए. वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास भूल जाते हैं.
- समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा.
- मैं किसी समाज की प्रगति का आकलन यह देखकर करता हूं कि वहां की महिलाओं की स्थिति कैसी है.
- जबतक आप सामाजिक स्वतंत्रता हासिल नहीं कर लेते, तब तक आपको कानून चाहे जो भी स्वतंत्रता देता है, वह आपके किसी काम की नहीं होती.