Parenting: बच्चों का स्कूल से आकर पढ़ना जरूरी है लेकिन बच्चों को घर आकर पढ़ने का मन नहीं करता है. बच्चे मन मारकर अगर कुछ देर पढ़ने बैठ भी जाते हैं तो कई देर बीतने के बाद भी ना उन्हें कुछ समझ आता है और ना ही दिमाग में कुछ घुसता है. इस तरह बच्चे के खुद मन लगाकर ना पढ़ने से पैरेंट्स की चिंता भी बढ़ जाती है. ऐसे में माता-पिता कुछ छोटी-मोटी बातों का ध्यान रखें तो ना सिर्फ बच्चों का पढ़ाई (Study) में मन लगेगा बल्कि खुद से पढ़ने का भी दिल करने लगेगा. जानिए कौनसे हैं ये पैरेंटिंग हैक्स.
माता-पिता को सुधार लेनी चाहिए अपनी ये 5 आदतें, बुढ़ापे में भी बच्चे करेंगे पूरा सम्मान
बच्चों का पढ़ाई में कैसे लगेगा मन
होमवर्क के लिए ऐसी हो जगहइस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चे को जहां पढ़ने के लिए बैठाया जा रहा वहां उसके पास हर वो चीज उपलब्ध हो जिसकी उसे पढ़ने के लिए जरूरत है और उसे खुद बार-बार अपनी जगह से ना उठना पड़े. पहली चीज यह की जा सकती है कि बच्चों के पढ़ने के लिए शांत जगह हो. साथ में खाने-पीने की चीजें दें जिससे उसे भूख या प्यास ना लगती रहे. इसके अलावा, पेंसिल, रबड़ और पढ़ाई के लिए जरूरी टूल्स बच्चे के पास होने चाहिए.
बच्चे काम से कई बार इसलिए जी चुराते हैं क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता कि क्या पढ़ना है या फिर किस तरह होमवर्क (Homework) करना है. ऐसे में होमवर्क प्लान बनाना जरूरी है. होमवर्क कितनी देर करना है, किस तरह करना है, कहां से शुरू करना है और कब खत्म करना है यह सब पता होना चाहिए. बहुत ज्यादा काम हो तो बीच-बीच में ब्रेक का टाइम भी रखें.
अगर बच्चा छोटा है और खुद से पढ़ने नहीं बैठना चाहता तो उसके लिए पढ़ाई को मजेदार बनाया जा सकता है. आप वीडियो दिखाकर, उसके साथ बैठकर पढ़ने की चीजों को तेजी से बोलकर या गाकर उसके लिए लर्निंग को आसान बना सकते हैं. आप ऑनलाइन पढ़ने वाली गेम्स भी सर्च कर सकते हैं. छोटे बच्चे फ्लैश कार्ड्स की मदद से पढ़ना भी बेहद एंजॉय करते हैं.
कई बार बच्चों का मूड ठीक नहीं होता है या वे थके हुए महसूस कर रहे होते हैं. ऐसी स्थिति में बच्चे को पढ़ने के लिए कहा जाए तो उसका पढ़ने का मन नहीं करता और वह नाम के लिए पढ़ने बैठ भी जाए तो उसे कुछ समझ नहीं आता. इससे बेहतर बच्चे को रिलैक्स करने का मौका दें और जब उसका मूड बेहतर हो जाए तब उसे पढ़ने के लिए कहें. हर समय जबरदस्ती करना ठीक नहीं होता है.
कई बार बच्चे किसी एक सवाल पर आकर ही अटक जाते हैं. उन्हें कुछ समझ नहीं आता तब भी वे घंटों तक बस बैठे रह जाते हैं. इससे बेहतर माता-पिता (Parents) बच्चों की थोड़ी-बहुत सहायता करने की कोशिश कर सकते हैं. इससे बच्चे को जहां दिक्कत आती है वो उसका सुझाव ढूंढने के बाद दूसरे सवाल की तरफ बढ़ जाते हैं और एक ही चीज को लेकर अटके नहीं रहते.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.