Parenting Tips: माता-पिता को अक्सर लगता है कि बच्चों को जीवन में किसी तरह की परेशानी नहीं होती या फिर बच्चों पर कोई जिम्मेदारी नहीं होती इसीलिए उन्हें हर स्थिति में खुश रहना चाहिए. लेकिन, ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनसे बच्चे अकेले गुजरते रहते हैं. बच्चे खुद की तुलना दूसरे बच्चों से करने लगते हैं, हर किसी की डांट सुनकर खुद को सबसे कम समझने लगते हैं, उनपर अच्छी परफोर्मेंस का प्रेशर होता है तो साथ ही उनकी भावनाएं कई बार माता-पिता या दोस्त कोई नहीं समझ पाता जिससे बच्चे खुद को अकेला महसूस करते हैं. इसके अलावा, अक्सर ही बच्चे सेल्फ डाउट (Self Doubt) में पड़ जाते हैं और अपना आत्मविश्वास खो देते हैं. ऐसे में माता-पिता बच्चे को समझते हुए उसे इस दुविधा से निकालने की कोशिश कर सकते हैं. अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा सेल्फ डाउट में रहता है, कोंफिडेंट फील नहीं करता और खुद को दूसरे बच्चों से कम समझता है तो यहां जानिए किस तरह बच्चे के आत्मविश्वास (Confidence) को बढ़ाने में मदद की जा सकती है.
Year Ender 2024: इस साल माता-पिता बने ये 5 बॉलीवुड सेलेब्स, पैरेंटिंग फेज का ले रहे हैं अनुभव
कैसे बढ़ाएं बच्चे का कोंफिडेंस | How To Boost Child's Confidence
नकारात्मक बातों को दूर करना सिखाएंबच्चे कई बार नकारात्मक और सकारात्मक बातों में अंतर करना नहीं जानते और इसीलिए कुछ बुरा भी हो तो उसे अपने अंदर दबाए रखते हैं. यही नकारात्मक बातें बच्चों को अंदर ही अंदर खाने लगती हैं. ऐसे में बच्चों को सिखाएं कि किस तरह नकारात्मक बातों को पहचानकर उनसे दूरी बनाई जा सकती है. नकारात्मक भावनाओं (Negative Feelings) को दूर करके ही सेल्फ डाउट से छुटकारा पाया जा सकता है.
बच्चे को उसकी स्ट्रेंथ पर फोकस करना सिखाएं. जिन कामों में बच्चा अच्छा है उन कामों में खुद को वह और कैसे बेहतर बनाए और किस तरह अपनी सफलताओं से कोंफिडेंट महसूस करे यह उसे बताएं. इससे आत्मविश्वास तो बढ़ता ही है, साथ ही बच्चों में सकारात्मक विचारों का संचार होता है.
बच्चा अगर अपनी गलतियों या हार के बोझ तले बैठा रहेगा तो यकीनन इससे उसका आत्मविश्वास कम होगा. ऐसे में बच्चे को सिखाएं कि जीवन में जीत और हार लगे रहते हैं, लेकिन हार को लेकर बैठना और खुद को हारा हुआ महसूस करना सही नहीं है. हार (Failure) से सीखना और आगे बढ़ते रहना जरूरी होता है.
अगर बच्चे को लगता है कि वह कोई भी काम खुद से नहीं कर सकता या फिर उसे हर काम को करने के लिए किसी की जरूरत है, तो यह उसकी लो सेल्फ एस्टीम को दर्शाता है. ऐसे में पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे कम उम्र से ही बच्चे को आत्मनिर्भर होना सिखाएं. कम से कम छोटे-मोटे काम और जिम्मेदारियां बच्चा खुद उठाने लगे जिससे उसके सेल्फ कोंफिडेंस में वृद्धि हो.