Parenting Tips: हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा उनसे खुलकर बात करे और हर बात समझे. इसके लिए पैरेंट्स भी अपने बच्चे के साथ खुलकर बात करते हैं और उनका दोस्त बनकर रहते हैं. ऐसा करना सही है लेकिन इसके साथ कुछ सावधानी बरतना भी जरूरी है. इसके लिए पैरेंटिंग एक्सपर्ट और ऑथर इशिन्ना बी. सदाना ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वे बताती हैं, बच्चों के साथ हमें छोटी-छोती बातों पर भी ध्यान देना जरूरी होता है. खासकर पैरेंट्स को अपने बच्चों से कुछ बातें कभी नहीं शेयर करनी चाहिए. सदाना ने अपने इंस्टाग्राम वीडियो में ऐसी चार बातें बताई हैं, जो बच्चों को कभी भी या बहुत कम उम्र में नहीं बतानी चाहिए. आइए जानते हैं इनके बारे में-
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नंबर 1- पति-पत्नी के झगड़ों की डिटेल
माता-पिता के बीच मतभेद होना आम बात है, लेकिन उनके झगड़ों की पूरी जानकारी बच्चों को देना सही नहीं होता है. इससे बच्चा खुद को असुरक्षित और कन्फ्यूज महसूस करता है. उसे लगने लगता है कि कहीं उसका परिवार टूट न जाए. कई बार बच्चे खुद को इन झगड़ों के लिए जिम्मेदार मानने लगते हैं, जो उनके मानसिक विकास के लिए नुकसानदायक है.
अगर माता-पिता बार-बार बच्चों से पैसों की तंगी, कर्ज या खर्चों की चिंता शेयर करते हैं, तो बच्चे पर बेवजह बोझ पड़ता है. वह खुद को बेबस और परेशान महसूस करता है, क्योंकि वह इस समस्या को न तो समझ पाता है और न ही हल कर सकता है. इससे बच्चे की मासूमियत और बचपन पर असर पड़ता है.
नंबर 3- परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में नेगेटिव बातेंदादा-दादी, नाना-नानी, चाचा-चाची या किसी और रिश्तेदार के बारे में गलत या नकारात्मक बातें बच्चों के सामने करना उनकी सोच को प्रभावित करता है. इससे बच्चे के मन में उन लोगों के लिए गलत भावना बन जाती है और उनके रिश्ते खराब हो सकते हैं. बच्चों को रिश्तों में सम्मान और संतुलन सिखाना जरूरी है.
नंबर 4- अपने इमोशनल ट्रॉमा और गहरे दुख
इन सब से अलग कई माता-पिता अनजाने में अपने दर्द, तनाव और पुराने जख्म बच्चों के सामने खोल देते हैं. इसे लेकर पैरेंटिंग एक्सपर्ट कहती हैं, बच्चे हमारे थैरेपिस्ट नहीं होते. वे हमारी भावनाओं का बोझ उठाने के लिए तैयार नहीं होते. इससे वे डर, चिंता और अपराधबोध महसूस कर सकते हैं.
सच छुपाना नहीं, सही तरीके से बताना जरूरीएक्सपर्ट साफ कहती हैं कि बच्चों से झूठ बोलने या उन्हें नकली दुनिया दिखाने की जरूरत नहीं है. बस इतना ध्यान रखें कि जानकारी उम्र के अनुसार हो और बच्चे पर भावनात्मक बोझ न बने. बचपन बहुत नाजुक समय होता है. माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को सच से रूबरू कराएं, लेकिन इस तरह कि उनका मन और भावनाएं सुरक्षित रहें. बच्चे की समझ और मासूमियत दोनों का ख्याल रखे.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.