पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की गलियों में कभी हंसी-खुशी की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन आज वही गलियां सिसकियों और टूटे सपनों की दर्दनाक कहानियां बयां कर रही हैं. वक्फ के खिलाफ भड़के विरोध ने हिंसा का रूप ले लिया. सड़कों पर जलते वाहन, लूटे गए घर, और टूटी दुकानों के बीच पीड़ितों की आंखों में डर और बेबसी साफ दिखाई दे रही है. इस हिंसा का शिकार हुए लोगों ने अपनी दर्दनाक आपबीती एनडीटीवी संग साझा की.
Video : बम फटे तो हम भागने लगे...मुर्शिदाबाद हिंसा पीड़ित
मुर्शिदाबाद हिंसा पीड़ितों की आपबीती
हिंसा से बचकर निकलने में कामयाब रही महिला ने बताया कि हम क्या करते, जब बम फटे तो हम वहां से भागकर निकल गए. यही नहीं इस हिंसा के बीच गर्भवती महिला को भी अपने परिवार के संग घर छोड़कर जाना पड़ा. वहीं सप्तवी मंडल मुर्शिदाबाद में अपनी परिवार संग रहती थी. लेकिन जब हिंसा हुई तो वो भी डर बचकर रिफ्यूजी कैंप पहुंची. उनके साथ उनका 6 दिन का बच्चा भी है. उनके पति कोलकाता में काम करते हैं. लेकिन यहां वो डर के साए में अपना घर छोड़कर रही है. उन्होंने बताया कि अगर 5 मिनट की देरी हो जाती तो वो नहीं बचते.
Video : मुर्शिदाबाद हिंसा में अपने 6 दिन के बच्चे के साथ जनाकर बचाकर भागी इस मां का दर्द सुनिए
पीड़ितों का कहना है कि हमलावर बाहर से आए और हथियारों व पेट्रोल के साथ झोपड़ियों पर हमला किया था जिसके कई लोग जान बचाकर भागे. जिला प्रशासन ने घरों के पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया है. एक पीड़ित राहुल मंडल ने बताया, “हमने पीछे से भागकर जान बचाई. उन्होंने मवेशी ले लिए और घर जला दिए.” गांव की निवासी शांति ने बताया कि कई लोग भागीरथी नदी पार कर मालदा और झारखंड में अपने रिश्तेदारों के पास शरण लिए हुए हैं.
तीन दिन बाद दुकान खोली है, कभी ऐसा नहीं हुआ
फार्मेसी संचालक राजेश ने कहा कि उन्होंने तीन दिन बाद दुकान खोली है. उन्होंने बताया, “हम 50 वर्षों से यहां हैं, कभी ऐसा नहीं हुआ, उम्मीद है यह दुःस्वप्न दोबारा नहीं दोहराया जाएगा.” स्थानीय निवासी मोहम्मद अकबर ने कहा, “हमलावर हिंदू-मुस्लिम दोनों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे थे. वे बाहरी लोग थे, प्रशासन से सुरक्षा चाहिए.” एक और निवासी पंकज सरकार ने बताया कि इंटरनेट बंद होने के कारण डिजिटल भुगतान संभव नहीं है और एटीएम में नकदी खत्म है. उन्होंने कहा, “गुजारा मुश्किल हो गया है. उम्मीद है हालात जल्द सुधरेंगे.”