गणित में क्यों नहीं मिलता नोबेल पुरस्कार? जानिए इसके पीछे की रोचक वजह

वेनेजुएला की नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जिसे उन्होंने ट्रंप को समर्पित किया. जानिए, गणित को नोबेल पुरस्कार की सूची से क्यों रखा गया बाहर और इसके बदले कौन से पुरस्कार दिए जाते हैं.

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नई दिल्ली:

Nobel Prize in Mathematics: हाल ही में वेनेजुएला की राजनेता, एक्टिविस्ट और विपक्ष सरकार की मजबूत नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है. इस दौड़ में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी थे, उनके नाम की खूब चर्चा हो रही थी. गौरतलब है कि मारिया ने अपना नोबेल पुरस्कार ट्रंप को समर्पित कर दिया है. नोबेल पुरस्कार कई क्षेत्रों में दिया जाता है, जिसमें विज्ञान, साहित्य और शांति जैसे विषय शामिल हैं, लेकिन कभी आपने सोचा है कि गणित के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार क्यों नहीं दिया जाता है, जबकि विज्ञान और तकनीक बिना गणित के संभव है, बावजूद इसके यह विषय नोबेल पुरस्कार की सूची से बाहर है. आइए जानते हैं आखिर क्या है इसकी वजह?

नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) की स्थापना

इस पुरस्कार को देने की शुरुआत 1895 से शुरू हुई. इसकी शुरुआत अल्फ्रेंड नोबेल की वसीयत के आधार पर हुई. उन्होंने फिजिक्स, केमिस्ट्री, मेडिकल, लिटरेचर और

शांति के लिए इस पुरस्कार का प्रावधान किया, लेकिन लिस्ट में गणित विषय को शामिल नहीं किया. इसके कारणों में उनका व्यक्तिगत और उस वक्त में इस विषय का कम व्यावहारिक होना बताया जाता है. इस पर कई इतिहासकारों का भी मानना है कि उस वक्त में गणित का प्रभाव बहुत कम था. इसके लिस्ट में ना होने का एक कारण यह भी गिनाया जाता है कि यह प्रत्यक्ष रूप से मानव कल्याण से परे है, हालांकि विज्ञान और तकनीक इसके बिना अधूरी है, लेकिन इसकी व्यावहारिकता की वजह से इस लिस्ट में जगह नहीं मिल पाई.

गणित के क्षेत्र में कौनसा पुरस्कार?

गौरतलब है कि गणित की थ्योरी के कंट्रीब्यूशन को मापना इतना आसान नहीं था, लेकिन आज भी गणित का फिजिक्स और अर्थशास्त्र जैसे विषयों में बहुत महत्व है, लेकिन इस कमी को फील्ड्स मेडल पूरा करता है.1936 में फील्ड्स मेडल की शुरुआत हुई, जोकि गणित के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है. हर चार साल में 40 से कम की आयु गणितज्ञों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. इसके अलावा गणित के क्षेत्र में एबेल पुरस्कार भी दिया जाता है, जिसकी वैल्यू नोबेल पुरस्कार के बराबर है. इसकी शुरुआत साल 2003 में हुई थी. गणित के क्षेत्र में उसके हर वैज्ञानिक की भूमिका बराबर है और उन्हें इन दिनों पुरस्कारों से नवाजा जाता है.

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