Astronauts Wisdom Teeth: स्पेस की दुनिया काफी ज्यादा रहस्यमयी है, लाख कोशिशों के बावजूद अब तक इंसानों को स्पेस से जुड़ी कुछ ही चीजों के बारे में पता चल पाया है. एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में जाकर इन रहस्यों से पर्दा उठाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस दौरान उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है. भारत के मिशन गगनयान से पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय बने शुभांशु शुक्ला ने इसे लेकर कई चीजें बताई हैं. उन्होंने बताया कि स्पेस में जाने से पहले उनकी अक्ल दाढ़ को निकाल दिया गया था. आइए जानते हैं कि एस्ट्रोनॉट्स को ऐसा क्यों करना होता है और इसका स्पेस मिशन से क्या ताल्लुक है.
क्या बोले शुभांशु शुक्ला?
भारत की तरफ से स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले शुभांशु शुक्ला ने बताया कि इस मिशन से पहले उनके दो दांत निकाले गए. उन्होंने कहा, मैंने अपनी दो अक्ल दाढ़ निकलवाईं, मेरे साथ मौजूद ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप के भी दांत निकाले गए. शुक्ला ने कहा कि जो कोई एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं उन्हें अपनी अक्ल दाढ़ निकालनी ही पड़ेगी.
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क्यों निकाले जाते हैं दांत?
अक्ल दाढ़ यानी विजडम टीथ जब बाहर आता है तो ये काफी ज्यादा दर्दनाक होता है. यही वजह है कि स्पेस जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों की अक्ल दाढ़ को निकाल दिया जाता है. स्पेस में मेडिकल सिचुएशन की ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन डेंटल सर्जरी वहां नहीं हो सकत है. इसीलिए स्पेस मिशन पर जाने से पहले दिक्कत देने वाले दांतों को निकाला जाता है. अक्ल दाढ़ के आने पर इसे निकलवाना पड़ता है, ऐसे में एस्ट्रोनॉट्स के साथ ये काम पहले ही कर दिया जाता है.
मिशन गगनयान की तैयारी
भारत के पहले ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन गगनयान की तैयारी तेजी से चल रही है. गगनयान मिशन के लिए शुभांशु शुक्ला के अलावा ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को चुना गया है. इन सभी की ट्रेनिंग पिछले कई महीनों से चल रही है. बताया जा रहा है कि गगनयान मिशन को जनवरी 2026 में लॉन्च किया जा सकता है, जिसमें पहले रोबोट 'व्योममित्र' को भेजा जाएगा. इसके बाद 2027 में भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में भेजा जाएगा.














