कौन थे वीर तेजाजी, पुष्कर मेले में एक लाख टन रेत से बनाई गई जिनकी सैंड आर्ट

Veer Tejaji: हर साल तेजा दशमी के दिन राजस्थान में वीर तेजाजी के नाम से मेले का आयोजन भी किया जाता है. कई राज्यों में लोग उन्हें देवता की तरह पूजते हैं.

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वीर तेजाजी को भगवान की तरह पूजते हैं लोग

Veer Tejaji Story: राजस्थान के अजमेर में 22 अक्टूबर से प्रसिद्ध पुष्कर मेले की शुरुआत हो चुकी है. इस मेले में पूरा राजस्थान आपको नजर आएगा, यहां की लोक परंपराओं से लेकर सांस्कृतिक विरासत की झलक यहां दिखती है. पुष्कर मेले में एक सैंड आर्टिस्ट ने एक लाख टन रेत से एक सैंड आर्ट बनाई है, जो सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है. इस आर्ट में वीर तेजाजी महाराज का चित्र बनाया गया है. अब अगर आप नहीं जानते हैं कि वीर तेजाजी कौन थे तो आज हम आपको उनकी पूरी कहानी बताते हैं. 

वीर तेजाजी की सैंड आर्ट

पुष्कर मेले में वीर तेजाजी की ये कलाकृति बनाने वाले सैंड आर्टिस्ट का नाम अजय रावत है. उनकी सैंड आर्ट देश से लेकर विदेशों से आए तमाम पर्यटकों को काफी आकर्षित करती हैं. इस बार उनकी इस आर्ट में वीर तेजाजी को दिखाया गया है, ये आर्ट काफी वायरल भी हो रही है. आइए जानते हैं कि वीर तेजाजी कौन थे.  

कौन थे वीर तेजाजी?

वीर तेजाजी को राजस्थान के लोग भगवान शिव का ग्यारहवां अवतार भी मानते हैं. राजस्थान के अलावा हरियाणा, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में भी वीर तेजाजी को भगवान के तौर पर पूजा जाता है. उनकी छवि हमेशा उनके घोड़े, जिसका नाम लीलण था, उसके साथ दिखाई देती है. इस तस्वीर में उनके हाथों में भाला, तलवार और धनुष बाण भी नजर आते हैं. हर साल तेजा दशमी के दिन राजस्थान में वीर तेजाजी के नाम से मेले का आयोजन भी किया जाता है. 

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कुछ ऐसी है कहानी

वीर तेजाजी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल गांव में हुआ था, वो एक किसान के बेटे थे. बचपन से ही वो काफी साहसी और बहादुर थे. वीर तेजाजी को सबसे बड़ा गोरक्षक माना जाता है, इसी के चलते उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे. दरअसल जब वीर तेजाजी अपनी बहन के घर जाते हैं तो उन्हें पता लगता है कि मेणा नाम का डाकू उनकी बहन की सभी गायों को लूटकर चला गया. इसके बाद वो उस डाकू की तलाश में निकल जाते हैं, लेकिन रास्ते में एक भाषक नाम का सांप उन्हें मिल जाता है, वो उन्हें डसना चाहता है और रास्ता रोक लेता है. 

जब सांप तेजाजी का रास्ता नहीं छोड़ता तो वो उसे एक वचन देते हैं और कहते हैं कि वो मेणा डाकू से अपनी बहन की गायों को छुड़ाने जा रहे हैं, एक बार ये काम पूरा हो गया तो वो खुद आकर खुद को कटवा लेंगे. ऐसा बोलते ही सांप उनका रास्ता छोड़ देता है और तेजाजी का मेणा डाकू से भयंकर युद्ध होता है. तेजाजी सभी को मारकर गायों को छुड़ा लेते हैं और इस दौरान बुरी तरह घायल भी हो जाते हैं. 

इसके बावजूद वो सांप का वचन पूरा करने के लिए लौटते हैं और उसे कहते हैं कि अब वो उन्हें काट सकता है. सांप कहता है कि उन्हें हर जगह घाव हैं, वो आखिर कहां डंक मारेगा? इस पर तेजाजी कहते हैं कि उनकी जीभ सुरक्षित है, वहां तुम डस सकते हो. इसके बाद नाग तेजाजी को आशीर्वाद देता है और कहता है कि भाद्रपद शुक्ल दशमी से अगर किसी को भी सांप काटता है और वो तुम्हारे नाम की तांती बांध देता है तो उस पर जहर का कोई असर नहीं होगा. इसी दिन के बाद से तेजादशमी पर्व मनाया जाता है.    

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