Delhi Blast NIA: दिल्ली के लाल किले में हुए धमाके में अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं. इस मामले में कई आतंकी एंगल भी तलाशे जा रहे हैं, यही वजह है कि पहले यूएपीए के तहत मामला दर्ज हुआ और अब एनआईए को मामला सौंप दिया गया है. यानी इस ब्लास्ट की जांच अब एनआईए करेगी. बम धमाके के बाद से ही देशभर की तमाम सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और इस ब्लास्ट में शामिल लोगों की तलाश की जा रही है. आपने एनआईए का नाम पहले भी कई मामलों में सुना होगा, ऐसे में सवाल है कि आतंकी मामलों की जांच आखिर NIA के पास ही क्यों जाती है? आइए जानते हैं कि कैसे ये एजेंसी काम करती है और इसे कब बनाया गया.
क्या है NIA?
NIA का मतलब नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी है. दुनिया के तमाम देशों की तरह ये भारत की सबसे बड़ी एजेंसियों में से एक है. इस राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को 26/11 मुंबई हमलों के ठीक बाद बनाया गया. राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में इसे बनाया. एनआईए का मुख्यालय नई दिल्ली में है, साथ ही इसकी कई ब्रांच देशभर में फैली हुई हैं.
क्या करती है NIA?
अब उस सवाल पर आते हैं कि आखिर आतंकी मामलों की जांच एनआईए के पास ही क्यों जाती है. दरअसल इस एजेंसी को ऐसे ही काम के लिए बनाया गया है. 26/11 मुंबई हमलों के बाद एक एजेंसी की जरूरत महसूस हुई थी, जो आतंकी साजिश और गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखे. एनआईए का खुद का एक कानून है.
- एनआईए आतंकी गतिविधियों की टेरर फंडिंग पर भी नजर रखती है
- एनआईए देश में मौजूद उन लोगों पर भी नजर रखती है, जो राष्ट्र के खिलाफ काम कर रहे हैं
- आतंकवाद से जुड़ी हर घटना या फिर मामले की जांच में एनआईए शामिल होती है
- NIA एक सेंट्रल एजेंसी है, ऐसे में ये किसी भी राज्य में जाकर कार्रवाई कर सकती है
- NIA को गिरफ्तारी से लेकर संदिग्ध चीजों को जब्त करने के लिए राज्य सरकार से इजाजत नहीं लेनी होती है
इन बड़े मामलों की जांच कर चुकी है NIA
NIA बनने के बाद देशभर में हुई तमाम बड़ी आतंकी घटनाओं की जांच इस एजेंसी ने की. इसमें पुलवामा आतंकी हमला, मुंबई आतंकी हमला, मक्का मस्जिद ब्लास्ट, अजमेर शरीफ ब्लास्ट, आतंकी अबू जिंदाल की गिरफ्तारी, हैदराबाद ब्लास्ट, यासीन भटकल गिरफ्तारी, केरल लव जिहाद मामला और कई बड़े मामले शामिल हैं.














