भारत की खोज करने वाले वास्को डी गामा को कहां दफनाया गया था?

वास्को डी गामा, वह पुर्तगाली खोजी यात्री जिसने 1498 में यूरोप से भारत तक के समुद्री मार्ग की खोज की थी.लेकिन उनकी मृत्यु की कहानी काफी रोमांचिक है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

वास्को डी गामा, वह पुर्तगाली खोजी यात्री जिसने 1498 में यूरोप से भारत तक के समुद्री मार्ग की खोज की थी. उनकी मृत्यु को लेकर अक्सर कई लोगों के मन में सवाल उठते हैं कि क्या वास्को डिगामा की मृत्यु भारत में हुई थी. वास्को डी गामा को एक नहीं, बल्कि तीन अलग-अलग बार और अलग-अलग स्थानों पर दफनाया गया था. उनके अंतिम क्रब का पूरा इतिहास दिया गया है:

कोच्चि, भारत (पहला विश्राम स्थल - 1524)

इतिहासकारों के अनुसार, वास्को डी गामा की मृत्यु भारत में अपनी तीसरी यात्रा के दौरान हुई थी. पुर्तगाल के राजा ने उन्हें भारत का 'वायसराय' बनाकर भेजा था ताकि वे वहां हो रहे भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अव्यवस्था को ठीक कर सकें. 24 दिसंबर 1524 को कोच्चि (केरल) में वास्को डी गामा की मृत्यु हो गई. माना जाता है कि उनकी मृत्यु अत्यधिक थकान और मलेरिया के कारण हुई थी.

उन्हें कोच्चि के सेंट फ्रांसिस चर्च (St. Francis Church) में दफनाया गया था. यह भारत में बना पहला यूरोपीय चर्च था. आज भी इस चर्च के अंदर उनकी मूल कब्र का स्थान एक स्मारक के रूप में मौजूद है, जिसे देखने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं. हालांकि, उनका शरीर अब वहां नहीं है.

विदिगुएरा, पुर्तगाल (दूसरा विश्राम स्थल - 1539)

वास्को डी गामा की मृत्यु के लगभग 15 साल बाद, उनके परिवार और पुर्तगाली शाही प्रशासन ने उनके अवशेषों को उनकी मातृभूमि वापस ले जाने का फैसला किया था. साल 1539 में उनके अवशेषों को कोच्चि से निकाल कर पुर्तगाल भेजा गया. उन्हें पुर्तगाल के विदिगुएरा (Vidigueira) नाम के एक पारिवारिक चर्च में दफनाया गया. वास्को डी गामा को 'काउंट ऑफ विदिगुएरा' की उपाधि दी गई थी.

जेरोनिमोस मठ, लिस्बन (अंतिम विश्राम स्थल - 1880)

इसके बाद साल 1880 में पुर्तगाल सरकार ने उनके योगदान को सर्वोच्च सम्मान देने के लिए उनके अवशेषों को लिस्बन के भव्य जेरोनिमोस मठ (Jerónimos Monastery) में ट्रांसफर करने का फैसला किया. यह मठ पुर्तगाल की 'खोज के युग' (Age of Discovery) का प्रतीक है. वास्को डी गामा की कब्र यहां पुर्तगाल के महान कवि लुइस डी कैमोस की कब्र के ठीक बगल में है. उनकी कब्र को बहुत ही खूबसूरती से नक्काशीदार पत्थर (मार्बल) से बनाया गया है.

ये भी पढ़ें-25 दिसंबर को कौन सा हिंदू त्योहार आता है? क्रिसमस के अलावा क्या मना रहे हैं लोग

Advertisement

Featured Video Of The Day
बांग्लादेश आ गया यूनुस का 'दुश्मन', क्या हाथ से निकल जाएगी सत्ता