सरदार पटेल नहीं होते तो दूसरा पाकिस्तान बन जाता हैदराबाद, लौह पुरुष के सामने निजाम ने ऐसे टेके घुटने

Sardar Patel Birth Anniversary: सरदार पटेल ने देशभर में मौजूद 500 से ज्यादा रियासतों को भारत में मिलाने का काम किया, इनमें से तीन रियासतों ने विलय से इनकार कर दिया था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
सरदार पटेल की जयंती

देशभर में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश के तमाम बड़े नेता और हस्तियां उन्हें याद कर रही हैं. पटेल की छवि एक सख्त और तेज तर्रार नेता के तौर पर थी, जब भारत को आजादी मिली और पाकिस्तान अलग हुआ तो सरदार पटेल ने ही देश को एकजुट करने का काम किया. सैकड़ों रियासतों को अंग्रेजों ने ये छूट दे दी थी कि वो भारत या पाकिस्तान किसी के साथ भी शामिल हो सकते हैं, वहीं कुछ रियासतें अलग देश के तौर पर रहना चाहती थीं. पटेल ने अपनी खास कूटनीति से इन सभी को मनाया और भारत को कई टुकड़ों में बिखरने से बचाने का काम किया. आज हम आपको पटेल और हैदराबाद निजाम की वो कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आज भी लोग हैरान रह जाते हैं. 

500 से ज्यादा रियासतें

भारत की आजादी के वक्त देशभर में 500 से ज्यादा रियासतें थीं, इनकी अपनी सेना और अपने नियम कानून हुआ करते थे. आजादी के बाद पटेल को ये जिम्मेदारी दी गई कि वो इन सभी रियासतों को भारत में शामिल कराएं. ज्यादातर रियासतों ने तो खुद ही भारत में शामिल होने का फैसला ले लिया, लेकिन कुछ ऐसी भी थीं, जिन्होंने ऐसा करने से इनकार किया. इनमें कश्मीर, जूनागढ़ और सबसे बड़ी हैदराबाद रियासत भी शामिल थी. 

इंदिरा गांधी की समाधि पर क्यों रखा गया है ये 25 टन का पत्थर? ये है इसकी पूरी कहानी

हैदराबाद की पाकिस्तान के साथ करीबी

हैदराबाद रियासत के निजाम ने पटेल के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि वो अलग स्वायत्त देश बनना चाहते हैं. इसे लेकर तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन की सलाह पर भारत सरकार और निजाम के बीच 1947 में एक एग्रीमेंट भी हुआ. इसमें जो शर्तें तय हुई थीं, उनका निजाम ने उल्लंघन किया और पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने लगा और हथियार खरीदने की कोशिश भी की गई. निजाम और उसकी रजाकार सेना चाहती थी कि वो भारत के अंदर ही एक मुस्लिम राष्ट्र बनाए. 

भारत का सैन्य ऑपरेशन

सरदार पटेल समझ गए थे कि अब हैदराबाद रियासत भारत की अखंडता और एकता के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है. ऐसे में इसे भारत के साथ शामिल करवाना जरूरी हो गया था. इसके बाद पटेल ने पूरी रणनीति तैयार की और 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना ने हैदराबाद रियासत पर हमला कर दिया. निजाम के पास भी रजाकारों की बड़ी सेना थी, ऐसे में युद्ध करीब पांच दिन तक चला और आखिरकार निजाम की हार हुई. इस लड़ाई में हजारों लोगों की मौत हुई.

इसके साथ ही हैदराबाद का भारत में विलय हो गया. इस पूरी सैन्य कार्रवाई को ऑपरेशन पोलो का नाम दिया गया था. इस पूरे ऑपरेशन में सबसे अहम रोल और रणनीति सरदार पटेल की थी. 24 नवंबर 1949 को निजाम ने ऐलान 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Mumbai में Rohit Arya ने बच्चों को कैसे बनाया बंधक? | Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon